निजाम अंसारी
आज गुरुवार (जुमेरात) को ईद उल अजहा ( बकरीद ) का त्योहार बड़े ही शांतप्रिय माहौल में पूरे जनपद में मनाया गया ।
चाक चौबंद पुलिस व्यवस्था के बीच डी एम और एस पी ने भी पूरे जिले में भ्रमण कर सूचना प्राप्त करते दिखे ।
कस्बा शोहरतगढ़ में ईद उल अजहा की नमाज ईदगाह में सात बजे और कस्बा स्थित जामा मस्जिद में आठ बजे नमाज अदा की गई जहां इमाम ने लोगों से कुर्बानी की अहमियत बयान की और देश में सुख समृद्धि आपसी भाई चारा को मजबूत करने की दुवाएं मांगी गई ।
इमाम रजीउल्लाह ने बताया कि कुराबनी है व्यक्ति पर फर्ज है और खुदा को सबसे प्यारी भी है खुदा चाहता है कि उसकी मोहब्बत में इंसान अपनी प्यारी चीज अल्लाह के राह में कुर्बान करे।
दोसतो ईदुल-अज़हा का त्योहार अल्लाह के मश्हूर नबी हज़रत इबराहीम अलैहिस्सलाम की याद में मनाया जाता है। हज़रत इबराहीम की पूरी ज़िन्दगी क़ुरबानी(त्याग और बलिदान)में गुज़री। पहले हक़ और सच्चाई की ख़ातिर घर बार छोड़ा,फिर नमरूद बादशाह ने दहकती हुई आग में डालने का हुक्म दिया,लेकिन हज़रत इबराहीम के क़दम ज़रा ना डगमगाये,आखिर इस इम्तेहान में भी खरे उतरे।
फिर हज़रत इबराहीम ने बीवी और दूध पीते बेटे हज़रत इस्माइल को अल्लाह के हुक्म से मक्का के रेगिस्तान में अकेला छोड़ दिया,जहाँ उस वक़्त ना कोई आबादी थी ना ज़िन्दगी गुज़ारने का सामान, यहाँ तक कि पानी भी नहीं था। और सबसे बड़ी क़ुरबानी हज़रत इबराहीम ने उस वक़्त दी जब अल्लाह के हुक्म से नौजवान बेटे हज़रत इस्माईल की गर्दन पर छुरी रखदी,लेकिन अल्लाह ने हज़रत इस्माईल को बचा लिया। क्योंकि उसका मक़सद सिर्फ इम्तेहान लेना था।
इस तरह हम देखते हैं कि हज़रत इबराहीम की पूरी ज़िन्दगी बलिदान और इम्तेहान से भरी है,और वह हर इम्तेहान में खरे उतरते हैं। बेटे को क़ुर्बान करने की अदा अल्लाह को इतनी पसंद आयी,कि उसने क़ुरबानी को इस्लामी शरीयत(संविधान)का एक हुक्म बना दिया।
दुनिया भरके मुसलमान हज़रत इबराहीम और हज़रत इस्माईल की याद में हर साल ईदुल-अज़हा के मौके पर क़ुरबानी करते हैं। हज़रत इबराहीम की लोकप्रियता का यह आलम है कि दुनया के तीन मज़हब(धर्म)के मानने वाले मुस्लिम, ईसाई, और यहूदी हज़रत इबराहीम की यकसां इज़्ज़त और एहतेराम करते हैं।
दोसतो हज़रत इबराहीम की ज़िन्दगी से हमें यह पैग़ाम मिलता है,कि हर कामयाबी,बुलंदी,और नेकनामी का रास्ता क़ुरबानी से होकर गुज़रता है। अगर हम दुनया में कामयाबी और इज़्ज़त चाहते हैं तो इसके लिए हमें क़ुरबानी देनी होगी।ऐश व आराम की क़ुरबानी,माल की क़ुरबानी,और कोई बड़ा मौक़ा आया तो जान की क़ुरबानी के लिए भी तय्यार रहना होगा।
तारीख़(इतिहास)गवाह है कि जिन लोगों ने कुर्बानियां दी हैं उनका नाम हमेशा के लिए अमर हो गया।
बकरीद पर्व पर अधिशासी अधिकारी नवीन कुमार सिंह व अध्यक्ष उमा अग्रवाल के निर्देश पर आदर्श नगर पंचायत शोहरतगढ़ के कर्मचारियों द्वारा ईदगाह की विशेष साफ सफाई कराई गई साथ ही मस्जिदों के आस पास सफाई के साथ ही चूने का छिडकाव कराया गया |