एक शाम सर सैय्यद के नाम – सर सैय्यद डे के मौके पर एक दिवसीय मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन

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बीती रात मिश्रौलिया थाना क्षेत्र के इटवा- बेलवा मार्ग पर मेज़बान गॉर्डन रेहरा उर्फ़ भैसाही के प्रांगण में सर सैय्यद डे के मौके पर एक दिवसीय मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ।

जिसमें जिला प्रदेश के नामी गिरामी शायरों व कवि-कवित्रियों ने प्रतिभाग कर सर सैय्यद के नाम समा बांधा। कार्यक्रम का आगाज़ मास्टर मुस्ताक़ ने तेलावत-ए -कलाम पाक से शुरू किया गया ।

शायरों में- अलाउद्दीन सिद्धार्थ नगरी ने अपने अंदाज में पढ़ा- कौमें इंसानियत पर कहा कि जिस्मों को ख़रीदा जाता है, बाज़ार की बातें मत करना
1–साथ में मानवता का सम्मान होना चाहिए।
ज़िन्दागानी का सफ़र आसान होना चाहिए।।

2 –शायर हास्य कवि हलचल ने पढ़ा-
आज के इस दौर में फनकार होना चाहिए।
ज़िंदा रहने के लिए मक्कार होना चाहिए।।
दूसरी लाइन
फ़ैशन का ज़माना तो करारा है दोस्तों।
हमको इसी के प्यार ने मारा है दोस्तों।।

3–कवित्री नंदनी आज़मी
आबाद कर गया कभी बर्बाद कर गया, वो मुझको छोड़ छाड़कर परेशान हो गया।
दूसरी लाइन
तू दिन का शहजादा मै रात की रानी हूं।

4- मैकश आजमी ने पढ़ा भारत के पुकार पर कुछ इस अंदाज में पेश किया
कब मेरा सम्मान बढ़ेगा, कब होगा उद्धार।
पूछ रहा है मेरा भारत, मुझसे बारंबार।।
5–अजमल सिद्धार्थ नगरी
तेरे दयार में क्या क्या दिखाई देता है।
हर एक चेहरे में, चेहरा दिखाई देता देता है।
6 -शाहिद बस्तवी हमको अपना बना लीजिए, और दिल में बसा लीजिए।दिल तड़पता है दीदार को, टूटने से बचा लीजिए।।

8 -मेहनाज ने पढ़ा
कलियों को तो कांटों से कोई बैर नहीं है।
गुलशन में मगर उनकी अब ख़ैर नहीं है।।
9- अशद महताब संतकबीर नगरी
प्यार का दीप जलाना बहुत ज़रूरी।
जड़ को नफ़रत को मिटाना बहुत ज़रूरी है।।

10- निशा आरजू
तुम्हारी अदाओं पर मरने लगी हूं।
तुम्हें वे फिकर आहें भरने लगी हूं।।
मशहूर शायर
11अली बाराबंकवी ने अपने कलाम से दर्शकों को संमा बांधी और ख़ूब वाह वाही लूटी—
मैं तूफां को हराना चाहता हूं, भंवर में कश्ती लाना चाहता हूं।
हुमर के नाम से थर्राए बातिल, वही फ़िर से ज़माना चाहता हूं।।
…………………….. आदि कईयों कलाम व गीत पढ़कर युवाओं के दिल को ख़ूब गुदगुदाया….

12–ब्रह्मदेव शास्त्री ((पंकज)कुचल कर बाप की पगड़ी, जो चौखट पार करती है।
कभी ये मत समझ लेना, कि वह मुझसे प्यार करती है।।
इसी मिट्टी में जन्मा हूं, इसी मिट्टी में मिलता हूं। आदि…

14- मशहूर सायरा चांदनी शबनम ने अपने इश्कियां शेरो शायरी, ग़ज़ल व गीत पढ़कर युवाओं व दर्शकों में ज़ोश भर दी और ख़ूब वाह वाही लूटी।
पेश है👇🏻
आज ताज़ा गजल सुनाऊंगी, प्यार क्या चीज़ है बताऊंगी………
चांद सूरज हो गया,आंखो का तारा हो गया।
चाहती हूं मैं जिसे वो सबका प्यारा हो गया।।
बश में मेरे अब नहीं है, कैसे समझाऊं तुम्हें।
चांदनी का दिल भी देखो, अब तुम्हारा हो गया।।
सच कहना अब मुश्किल है, झूठ का ताना बाना है।
कितना भी ताकतवर हो, मिट्टी में मिल जाना है।।
इतना प्यार करती हूं,सनम तुम्हें बताऊंगी।
दिल क्या चीज है, चीर कर दिखाऊंगी।।
उक्त कार्यक्रम के आयोजक:– राशिद सिराज व मो. इलियास चौधरी अध्यक्षता– अब्दुल रऊफ चौधरी
मुख्य अतिथि- सतीश कुमार पाण्डेय (डी सी)बलरामपुर
रवि शंकर पाण्डेय (डी सी) सिद्धार्थ नगर,विशिष्ट अतिथि- पूर्व सांसद डुमरियागंज, सिद्धार्थ नगर
मो. मुकीम रहे।

कार्यक्रम का निजामत/संचालक:– कुंवर नदीम ने बड़े ही अच्छे अंदाज़ में किया।

इस मौक़े पर अब्दुल रऊफ चौधरी, इजहार अहमद, कमरुल चौधरी,शाहिद सिराज,असरार अहमद फारूकी, राम कुमार विश्वकर्मा, डॉ. बलराम त्रिपाठी, डॉ. अख्लाक हुसैन, इश्तियाक अहमद खां, अब्दुल बारी,राम सहाय, नफीस चौधरी, अली अहमद, साजिद इलियास,उदय भान सैनी, परवेज़ अहमद, रवि वर्मा, शाहिद हुसैन, मैनुद्दीन, बब्लू चौबे आदि भारी संख्या में लोग देर रात तक जमे रहे।

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