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Kapilvastupost
सिद्धार्थनगर। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित ऑनलाइन संस्कृत कक्षा के अंतर्गत शनिवार को संस्कृत बौद्धिक सत्र का आरंभ प्रशिक्षु सोमा जी ने सरस्वती वंदना गायन के साथ किया। कक्षा की छात्रा उषा रामचंद्रन के द्वारा संस्थान की गीतिका तथा कुमुद के द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया।
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के प्रशिक्षक सुधीर पांडेय द्वारा अतिथि का स्वागत तथा संस्थान का वृत कथन किया गया। सुरभि पांडेय ने कक्षा के अनुभव को बताया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गीता इंटरनेशनल स्कूल (गोंडा) के वरिष्ठ शिक्षक उमेश चंद्र द्विवेदी ने संस्कृत को वाग व्यवहार की भाषा बताते हुए कहा कि संस्कृत भाषा कुटुंबी भाषा है, यह भाषा सभी के घर-घर में होना चाहिए।
संस्कृत भाषा को लोग मृता भाषा कहते हैं, परंतु संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी होने के कारण वह कदापि मृता नहीं हो सकती है संस्कृत भाषा अपने आप में पूर्ण भाषा है। शिक्षण प्रमुख सुधीष्ठ मिश्र ने कहा कि आज हमारा देश पश्चिमी सभ्यता में रंग रहा है जिसके चलते संस्कारों का हनन हो रहा है, संस्कार संरक्षण के लिए संस्कृत ज्ञान अनिवार्य है।
ऑनलाइन संस्कृत योजना के समन्वयक धीरज मैथानी ने संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित योजना का संक्षिप्त परिचय देते हुए उन्होंने बताया कि ऑनलाइन संस्कृत शिक्षण संस्कृत पौरोहित तथा व्याकरण कक्षाएं भी हमारे संस्थान से संचालित हो रही है। संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव ने बताया कि उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान संस्कृति सेवा कार्य में अन्य भारत कार्यरत है और आगे भी कार्यरत रहेगा।
संस्थान की सर्वेक्षिका डॉ० चंद्रकला शाक्य ने छात्रों और शिक्षकों का मनोबल बढाया। संस्थान की प्रशिक्षिका अनीता वर्मा ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। सत्र की लिंक संचालन का दायित्व प्रशिक्षक अभिषेक पाण्डेय ने निर्वहन किया।
कार्यक्रम में सैकड़ो से प्रतिभागी छात्रों ने भाग लिया।
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