बढ़ती धार्मिक वैमनस्यता गिरते मानवता के कारण नौवीं मुहर्रम को हुवा जुलूस पर पथराव

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क़स्बा शोहरतगढ़ में दोनों समुदायों के त्यौहार के जुलूस मार्ग निर्धारित हैं  प्रतिवर्ष मुहर्रम के त्यौहार में नीबी दोहनी का जुलूस अपने निर्धारित रूट से आगे बढ़ते हुवे बुधई स्मारक के पास पहुंचा ही था कि मिहर्रम के जुलूस पर पथराव हो गया जिसमें कई लोग घायल हो गए |

पथराव की सूचना नगर पंचायत प्रतिनिधि रवि अग्रवाल और एस ओ शोहरतगढ़ को दी गयी जिस पर सी ओ दरवेश कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने तत्परता दिखाते हुवे घटनास्थल से लोगों को खदेड़ा साथ ही कुछ लोगों को उठाया भी गया ले देकर मामला शांत कराया गया |

मुहर्रम की जुलूस पर पथराव की घटना ने अल्पसंख्यक समुदाय के सामने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं ?

मुस्लिम त्योहारों के रूट पर पड़ने वाले छोटे छोटे मंदिरों के पास सीमा रेखा खींच कर जुलूस को रोका जाना 

दशकों से चले आ रहे आपसी सामंजस्य और समझौतों के आधार पर समुदायों के जुलूस एवं अन्य धार्मिक क्रिया कलाप  शांतिपूर्ण तरीके से होते चले आ रहे हैं वर्ष 2015 में नीबी दोहनी स्थित एक मंदिर के अगल बगल अमन और शांति के दुश्मनों ने जुलूस में बाधा पहुँचाने के लिए साजिशन सीमा रेखा बना दी और जुलूस को घंटों रोका गया तत्कालीन सी ओ शंकर सिंह और एस ओ सुरेन्द्र शर्मा ने कानून की ताकत दिखाते हुवे जुलूस को आगे बढाया |

पथराव की घटना के बाद ज्ञानू के घर पर पुलिस की तैनाती घटना स्थल मंदिर

दशकों बाद 2024 में बुधई स्मारक के पास स्थित एक छोटे मंदिर के पास अराजक तत्वों ने अपने मन से सीमा रेखा खींचकर जुलूस को रोका

जैसा कि प्रशासन के पास त्योहारों का रूट चार्ट पहले से ही मौजूद है और रूट यदि कहीं किसी तरह का कोई आपसी समझौता है तो वह उसे लागू भी करवाती है लेकिन इस वर्ष जुलाई 2024 के नीबी दोहनी के मुहर्रम जुलूस के परम्परागत रूट पर मुस्लिम समुदाय द्वारा लब्बैक या हुसैन की सदाएं नारे लगाता हुवा आगे बढ़ रहा था जैसे ही जुलूस बुधई स्मारक से आगे बढ़ना चाहा अराजक तत्वों ने रास्ता रोका और जुलूस पर पथराव कर दिया | सी ओ की तत्परता ने बड़ा हादसा होने से बचा लिया |

घटना स्थल के करीब गली में तैनात सुरक्षा कर्मी

मुस्लिम समाज कि नाराजगी

नौवीं मुहर्रम की घटना से मुस्लिम समुदाय में भारी नाराजगी है उन्होंने कहा जुलूस के दौरान सुरक्षा में एक होमगार्ड भी नहीं था  मुस्लिम समज के लोगों का कहना है कि चार पीढियां बीत गयी कभी किसी मुस्लमान की तरफ से एक कंकड़ भी हिन्दू मंदिरों की तरफ नहीं फेंका गया | हम अपने धर्म के कानून को बहुत अच्छे से फॉलो करने की हमेशा कोशिश करते हैं  यही कारण है कि तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हिन्दू समाज के किसी भी देवी देवता पर कभी टिपण्णी नहीं की गयी |

इसके बावजूद हिन्दू समाज में कई नए त्योहारों का चलन बढाया गया मूर्तियों की संख्या भी खूब बढाई गयी पर हमारी तरफ से कभी कोई एतराज नहीं किया गया |

रामजानकी मंदिर के दोनों तरफ समझौते के आधार पर सीमा रेखा खींची गयी हमने हमेशा पालन किया समझौते कि रेखा 90 के दशक तक स्वर्गीय रामचंदर बाबु के दुकान के कोने से लगती थी और दूसरी तरफ स्वर्गीय बृजमोहन बोरा जी के दूकान के सामने लगे टेली फोन के खम्बे पर ख़तम होती थी |

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आज 2024 आते आते समझौते की रेखा मंदिर के उत्तर कि दिशा में लगभग दस फूट और दक्षिण दिशा में लगभग 20 फूट बढ़ा दी गयी है क्यों साल दर साल यह खिसकती है |

बताते चलें कि धर्म की महानता उसके उच्च नैतिक सिद्धांतों, सहानुभूति, और मानवता के प्रति उसकी संवेदनशीलता में निहित है। यह लोगों को सच्चाई, न्याय, और करुणा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है, और उन्हें एकजुट होकर प्रेम और शांति का संदेश फैलाने के लिए प्रेरित करता है।

धर्म केवल पूजा और अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक जीवन जीने का तरीका है जो व्यक्तियों को सही दिशा में मार्गदर्शन करता है और समाज में सामंजस्य स्थापित करता है।

बिना इसके आखिर कोई कैसे अपने धरम को श्रेष्ट कह सकता है क्या मुसलमानों को परेशान  करना उनके खिलाफ शाजिश करना उन्हें मुकदमों में फंसाना धर्म की श्रेष्ठता है इसे समाज के लोगों को समझना पड़ेगा और उन्हें अपने व्यवहार में आज नहीं तो कल परिवर्तन करना ही होगा |

मुस्लमान इस देश का नागरिक है इस देश को आजाद कराने में बढ़ चढ़ कर कुर्बानियां दी हैं मुस्लमान देश का दुश्मन नहीं है वह एक स्तम्भ कि तरह है ताकत दिखानी है तो चीन के सामने दिखाना चाहिए , लड़ना है तो चीन से लड़िये एक बनिए नेक बनिए एक दुसरे को सहारा दीजिये |

जुलूस के दौरान पुलिस सुरक्षा नहीं होने के कारण हुवा जायरीनों पर पथराव  कानून व्यवस्था पर सवाल 

नौवीं मुहर्रम को अपने परम्परागत रूट से जा रही जुलूस पर योजना बद्ध ढंग से बुधई स्मारक के पास बाकायदा चूने की लाइन खींच कर जुलूस को रोककर पथराव किया गया जिसमें 10 वर्षीय ओसामा हुसैन पुत्र सरदार हुसैन के सिर पर गंभीर चोट लगी, जबकि वाहिद (14) पुत्र मुस्तफा और मोटे (35) को हल्की चोटें आईं। ओसामा को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वाहिद और मोटे को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया।

घटना के दुसरे दिन जुलूस में शामिल लोगों ने बताया कि हम अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ जा रहे थे एक ही झटके में जुलूस तितर बितर हो गया हम अपने बच्चों से आँख नहीं मिला पा रहे हैं बच्चे जब हमसे पूछेंगे कि बाबा हम तो सीधे सीधे अपने रस्ते पर जा रहे थे तो हम पर हमला क्यों हुवा इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं बच्चे के मन मस्तिस्क पर क्या प्रभाव पड़ेगा क्या प्रशासन के पास इसका जवाब है या इस घटना के पीछे वेचारिक मंडल के लोगों के पास जिन्होंने यह घटना करवाई |

2015 के एतिहासिक दंगों के दौरान पुलिसिया कार्यवाही से सबक नहीं ले पाए दंगाई  

आज़ादी के बाद से शोहरतगढ़ कसबे में छूट पुट हिन्दू मुस्लमान वाली घटनाएं होती रहती थीं समय की भागम भाग में लोग भूल जाते हैं और आगे बढ़ते रहते हैं लेकिन 2015 का दंगा मेरे ख्याल से कोई नहीं भूला होगा यदि याद रहता तो मुस्लिम जुलूस पर पथराव नहीं होता |

वर्ष 2015 में मुहर्रम और दुरगा पूजा एक ही दिन पर होना था ऐसा संयोग 32 वर्षों में एक बार आता है जब हिन्दू मुस्लिम दोनों के त्यौहार एक ही दिन पड़ते हैं धीरे धीरे जैसे जैसे समय करीब आता गया नागरिकों पर चिंता की लकीरें बढ़ने लगी क्या हिन्दू क्या मुस्लमान कैसे होगा एक तरफ हिदुओं की जुलूस और दुसरे तरफ से मुसलमानों की जुलूस सोच कर कल्पना मात्र से ही शरीर में सिहरन बढ़ जाती थी |

एक से एक राष्ट्रवादी का गढ़ रहे शोहरतगढ़ में यह चिंता होना कोई आम बात नहीं जहाँ दो जुलूस आमने सामने तीर तलवारों से लैश एक अफवाह मात्र से इंसानियत / मानवता को कुचलने के लिए काफी थी |

अन्दर की चिंता राजनितिक आकाओं तक भी पहुंची तो उनको भी आभास हो गया कि एक साथ जुलूस का आमने सामने से निकल जाना नाक से चने चबाने जैसा ही है  , डर तो होना ही था कि आपने इस समाज में जो बोया है वह काटने का समय आ गया था बुद्ध जीवी इस बात को समझते हुवे परेशान थे रातों की नींद दिन का सुकून सब उड़ गया था |

मुहर्रम और दुरगा पूजा त्यौहार के ठीक पंद्रह दिन के पहले जिले के आईएस पी सी एस कमिश्नर तक का दौरा दिन भर में दो दो बार होता रहा दर्जनों दौर की समाज के जिम्मेदारों की मीटिंग पर मीटिंग होती रही नतीजा कुछ नहीं निकल रहा था इधर अंकल लोगों की धड़कन बढ़ती जा रही थी |

बहरहाल तत्कालीन सी ओ शंकर सिंह और इंस्पेक्टर सुरेंदर शर्मा ने मुस्लिम रहनुमाओं सरपरस्तों नेता अल्ताफ हुसैन , नवाब खान ,बाबु जी अंसारी , वाली खान ,मरहूम शहाबू उस्ताद , गुड्डू नेता , अबदुल कलाम , इन्सान अली , पूर्व सभासद अफसर अंसारी आदि से विचार विमर्श किया और वादा लिया कि वे इस तनाव के माहौल को शांत करने में अपनी बेहतरीन भूमिका निभा सकते हैं जिससे मानवता को बचाया जा सकता है |

दो तीन दिन तक घंटों चर्चा के बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ इंस्पेक्टर सुरेन्द्र शर्मा और सी ओ शंकर सिंह को मुसलमानों के मुहर्रम त्यौहार के रूट को बदलने की बात कही और यह भी तय पाया गया कि जुलूस को नए रूट से कम भीड़ के साथ लगभग 55  से 60 लोग ही परम्परागत रूप से त्यौहार मना लिया जाय दोनों जुलूसों के बीच लगभग 10 से 12 घंटों का समय भी प्रशासन पा गया और त्यौहार सुरु हुवा रात में दुर्गा पंडालों को उठाया गया और सुबह जल्दी ही विसर्जित कर दिया गया कसबे के लोगों बुद्ध जीवी वर्ग और प्रशासनिक हलके ने रहत की सांस ली की दंगा शब्द हट गया सभी खुश लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहटें दिखने लगी |

दुर्गा प्रतिमा का जिस दिन विसर्जन हुवा उसी दिन दोपहर बाद मुहर्रम का जुलूस अपने नए रूट से बढ़ता हुवा रामजानकी मंदिर के सामने पहुंचा लोगों की भीड़ आगे ताजिया उसके बाद अखाड़ा और अंत में पिकप पर लदे साउंड सिस्टम की गाड़ियाँ धीरे धीरे आगे बढ़ती रही आखिरी पिकप पर मंदिर के सामने एक तिरपाल में छुपे कुछ अराजक तत्वों के द्वारा पिकप पर पथराव कर दिया गया मुस्लिम जुलूस का थोडा हिस्सा सीमा पार होने को ही था कि जुलूस में शामिल लोग घूम गए दोनों समुदाय आमने सामने आ गए , मौके पर उपस्थित पुलिस वालों ने सी ओ शंकर सिंह के नेतृत्व में हिन्दू पक्ष को आगे बढ़ने से रोका और दूसरी तरफ इंस्पेक्टर सुरेंदर शर्मा ने मुस्लिम पक्ष के सामने दिखे |

इस टकराव कि सूचना आगजनी की खबर तत्कालीन पुलिस कप्तान अजय सिंह को दी गयी उसके बाद पुलिस की शालीनता और सबर टूट गया तो लोग महीनों घर छोड़कर गायब रहे इस दौरान जिनके तसरीफ लाल हुवे वह अपने खुदाओं को छोड़ दुसरे खुदा के दरबार में माफ़ी मांगते भी देखे गए |

इतना सब लिखने का यही मकसद था कि आने वाली पीढ़ी इसे पढ़े और जाने कि समाज में जहर कौन लोग घोल रहे हैं और मानवता को बचाने के लिए के लिए सौहार्द बचाए रखने के लिए कौन लोग आगे आते हैं |

नौवीं मुहर्रम को हुवे जुलूस पर पथराव करने वाले अपने धरम के भी गद्दार है जो मानव कल्याण और प्रेम को बढ़ावा नहीं देते इस्वर के बताये कानून को इंसानियत को धोका दे रहे हैं जोअपने धर्म का नहीं हुवा वह देश और समाज का कैसे हो सकताहै|

 

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