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गुरु जी की कलम से / बढ़नी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे नेता और उच्च पदस्थ कर्मचारियों एवं अधिकारी गण स्वच्छ भारत अभियान के तहत झाड़ू लगाकर प्रतीकात्मक संदेश दे रहे हैं, वहीं विकासखंड बढ़नी अंतर्गत कुछ ग्रामपंचायत के सफाई कर्मचारी अपने मूलभूत कार्य सफाई से दूर होकर खंड विकास बढनी मुख्यालय में बाबू बनकर टहल रहे हैं|
कुछ गांव के सफाई कर्मचारी अपने मूल कार्यों से दूर रहकर अधिकारियों के सरकारी आवासों पर चाकरी करने में व्यस्त हैं। यह स्थिति न केवल शर्मनाक है, बल्कि विकासखंड बढ़नी के गांवों की सफाई व्यवस्था को भी बुरी तरह प्रभावित कर रही है।
बताया जाता है किवर्ष 2008 में बसपा शासन के दौरान राज्य सरकार ने गांवों की सफाई व्यवस्था को सुधारने के लिए सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की थी।
लेकिन सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति के बावजूद गांवों में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त पड़ी है कई सफाई कर्मचारी अटैचमेंट के नाम पर अन्य विभागों में काम कर रहे हैं, जहां उनकी मूल ड्यूटी से कोई संबंध नहीं है।
कुछ सफाई कर्मचारी तो अपने तैनाती गांव की सफाई के लिए महीने में एकाध बार मजदूर रखकर के गांव की सफाई करवा देते हैं कुछ लोग ऐसे हैं जिनकी पहुंच नहीं होती तो वह तो अपने गांव की सफाई कार्य करने के लिए मजबूर रहते हैं|
गांवों की सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है विकास खण्ड बढनीमें सफाई कर्मचारियों की यह स्थिति न केवल प्रशासनिक विफलता को दिखाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार और लापरवाही की गहरी जड़ें जम चुकी हैं।
बताया जाता है कि ब्लॉक मुख्यालय पर घूमने वाले सफाई कर्मचारियों की हाजिरी प्रधान भरते हैं और प्रधान और सेक्रेटरी मिलकर के उनके वेतन का भुगतान करते हैं अब आप खुद ही सोचिए जब प्रधान सचिव और विकासखंड अधिकारी के सामने वह सफाई कर्मचारी दिन भर रहता है तो वह गांव की कब सफाई करता है यह तो सब लोग ही जान पाएंगे |
जब अधिकारी खुद सफाई कर्मचारियों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, तो गांव में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करना संभव नहीं हो सकता। ऐसे में शासन और प्रशासन को इस स्थिति की गंभीरता को समझते हुए गांवों में वास्तविक सफाई और स्वच्छता करवाने के लिए पहल करना चाहिए|