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शोहरतगढ़, पकड़ी ,बभनी ,बढ़नी में फर्जी पैथोलॉजी और अस्पतालों की भरमार
जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी कुर्सी से नहीं हिले जिम्मेदार
Kapilvastupost
फर्जी डॉक्टरों और अवैध अस्पतालों की लापरवाही से होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। ताजा मामला सिद्धार्थनगर जिले के इटवा तहसील अंतर्गत मिश्रौलिया थाना क्षेत्र के गौर डीह गांव से सामने आया है। जहां जनसेवा हेल्थ केयर नाम के एक अवैध अस्पताल में गर्भपात के दौरान एक महिला की मौत हो गई। मौत को छुपाने के लिए अस्पताल संचालक लाश लेकर भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन परिजनों ने दौड़ाकर उसे पकड़ लिया।
मृतका की मां ने बताया कि बेटी की मौत के बाद भी अस्पताल की तीन लड़कियां उस पर चढ़कर दबाव बना रही थीं और कह रही थीं कि वह कोमा में है। जबकि उसकी मौत हो चुकी थी। मामले के तूल पकड़ने के बाद देर शाम सीएचसी खुनियांव के अधीक्षक डॉ. पी.एन. यादव व एसडीएम इटवा की मौजूदगी में अस्पताल को सील किया गया और संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की गई। लाश को देर रात पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। मृतका का एक डेढ़ साल का मासूम बच्चा है।
बाइट – 1: मृतका की मां
बाइट – 2: डॉ. पी एन यादव, अधीक्षक सीएचसी खुनियाव
CMO की लापरवाही पर सवाल:
इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गौर करने वाली बात ये है कि कुछ महीने पहले जिलाधिकारी द्वारा फर्जी अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही के सख्त निर्देश दिए गए थे। शोहरतगढ़, बढ़नी और जिला मुख्यालय पर भी ऐसे कई फर्जी पैथालॉजी और डाइग्नोस्टिक सेंटरों की सूची तैयार कर कार्रवाई के आदेश दिए गए थे, लेकिन सीएमओ कार्यालय की निष्क्रियता के चलते कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहा था? अगर समय रहते सीएमओ ने ठोस कदम उठाए होते, तो शायद गौर डीह की महिला की जान बच सकती थी।
सवाल वही है — कब तक आम आदमी ऐसे फर्जी डॉक्टरों के हाथों मरता रहेगा? कब तक जिम्मेदार अधिकारी केवल कागज़ी कार्रवाई कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते रहेंगे? वक्त है कि ऐसे अस्पतालों पर नकेल कसी जाए और CMO जैसी जिम्मेदार कुर्सियों पर बैठे अधिकारी जवाबदेह बनें।
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