तिलावत करने वालों का कयामत के दिन सिफारिश करेगा कलाम -ए- पाक – कलीम मदनी
रोजा का मतलब रुकने का है । रोजा ढाल है । रोजेदारों को दो खुशियां मिलती एक रोजा इफ्तार के वक्त । दूसरे जब अलल्लाह से कयामत के दिन मैंंदाने महशर में अल्लाह का दीदार के व्क्त होगी । रोजे का बदला
जाकिर खान
सिद्धार्थनगर । मरकज तहफीजुल कुरान / बदर चिल्ड्रन हाईस्कूल के प्रांगण में स्थित जाम -ए- मस्जिद में शुक्रवार को रोजे के
13 वें दिन जुमा की नमाज बड़े हर्षउल्लासपूर्वक के साथ पढ़ी गई । इमामत नेपाल से आये युवा मुस्लिम विद्वान व मौलाना शाहिद कलीम मदनी ने की ।
कलीम मदनी ने मस्जिद में जुमा की नमाज के लिए मौजूद लोगों को खेताब करते हुए कहा कि – रोजा सन 2 हिजरी में फर्ज हुआ है ।
तभी से आज तक यह फर्ज रोजा हर बालिग ,आकिल और अल्लाह के नेक बंदों के लिए ढाल बना हुआ है । चूंकि रोजा बरकतों और फजीलतों का महीना है । रोजा कुरान के नजूल का महीना है । तेलावते कलाम पाक का खास महीना होता है । कयामत में कुरान -ए -पाक अपने तिलावत करने वालों की वकालत और सिफारिश करेगा । इसलिए हमें चाहिए कि रातों को जाग कर ज्यादा से ज्यादा कुरान पाक की तिलावत करें ।
ऐसा न करने वालों के लिए अजाब भी है । जिसने रंमजान के बरकत और रहमत माह को पाया और अपने गुनाहों से माफी तलाफ़ी न कर पाए । ऐसे लोगों के लिए निकट भविष्य में दर्दनाक अजॉब है । अजाब से बचना है तो नेक बनना है । नेक बनने एक ही साधन है अल्लह से लौ लगाना । उन्होंने कहा कि रोजा में नफिल का शवाब फर्ज के बराबर हो जाता है । एक नेकी पर 70 नेकी का बदला मिलता है ।
अल्लाह अपने रोजेदार बंदों को अपने हाथों से देगा ।
रोजा में रेयाकारी ( दिखावा ) के कम चांस हैं । बाकी इबादतों में दिखावा हो सकता है ।उन्होंने कहा कि रोजेदार को जन्नत के एक खास दरवाजे से प्रवेश होना होगा । जिसका नाम बाबुर्रयाँन है । रोजेदारों के एंट्री के बाद यह दरवाजा बंद हो जाएगा ।
जिसने लैलतुलकदर की रातों को ईमान व शवाब की नीयत से क़याम करेगा तो उसके अगले और पिछले सगीरा गुनाह माफ हो जाएगा । लेकिन शर्त है कि दुबारा वो गलती रिपीट न हो ।
खेताब में आगे कहा कि लोगों को शिर्क से बचना चाहिए । क्योंकि शिर्क एक अजीम गुनाह है । इससे हम सभी को बचना चाहिए । रोजे और झूठ में कोई तालमेल हो नही सकता । मदनी ने कहा कि जो अल्लाह का बन्दा झूट ,चोरी , चुगलखोरी , बेईमानी , दगा बाजी और संसार मे जो भी अमानवी कार्य होते हैं । और उससे बाज न आये तो ऐसे रोजेदार को कोई शवाब मिल ही नही सकता । और तो और मुस्लिम विद्दावनो का मत है कि ऐसे रोजेदार को फ़ालतुं में भूखा प्यासा नही रहना चाहिए ।
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उन्होंने कहा कि रोजा में जहन्नम के दरवाजे बंद और जन्नत के दरवाजे खोल दिए जातें है । सरकश शैतान को जकड़ दिया जाता है । रोजे में तरावीह की खास अहमियत है ।