धार्मिक स्थलों से हटाये गए लाउड स्पीकर , रात में एक शादी में अगवानी के दौरान डी जे भी बजा और अगवानी के दौरान आवागमन बाधित हुवा

ढाई मिनट की अज़ान दावत है मुसलमानों के लिए एक पुकार है आओ अपने रब की इबादत कर लो तुम्हारे रोज के कामों और बेहतरीन नींद से बेहतर है नमाज आओ और दीन और दुनिया को संवार लो

Democrate

भारत में इस्लाम हजारों सालों से है इसके मानने वाले हैं भले ही इनके अधिकतर पुर्वज हिन्दू ( सनातनी ) रहे हों पूरी दुनिया में दो सौ से अधिक देशों में हिन्दुस्तान सब से ज्यादा पसंद किया जाने वाला देश है ।

जैसा कि इस देश के मानने वालों की मान्यता है हिंदुस्तान को मां का दर्जा दिया जाता है जिसने हिन्दू , मुसलमान , सिख ,ईसाई ,जैन ,पारसी सबको पाल पोश कर बड़ा किया जवान किया जो वर्ष दो हजार तक अपने विकास के क्रम में था ।

पर देश में राजनीतिक विस्तारवाद और धार्मिक विस्तारवाद को एक दूसरे धर्म और उनके अनुयायियों पर अपने धर्म और राजनीति को थोपने लगा है। जो परम्परायें , धार्मिक रश्म व रिवाज हजारों वर्षों से चले आ रहे थे अब उनपर हिन्दू समाज के एक बड़े हिस्से ने विरोध जताना शुरू कर दिया है जो मौजूदा वक़्त में अज़ान को लेकर एक संघर्ष देखा जा रहा है।

अज़ान मुसलमानों को पुकार के साथ समाज में एक विश्वास का नाम भी –

1947 की आज़ादी के बाद से भारत में जो सामाजिक आर्थिक शैक्षणिक शून्यता थी समाज में सभ्यता का अभी पहला कदम चला था उस समय नमाज के समय भी अज़ान दी जाती रही है ( बिना माइक के ) अज़ान पढ़ने वाला मोज्जन मस्जिद के किसी ऊंची जगह से पुकार लगाता था । इसके इतर मंदिरों में ठीक रात वाली अज़ान और सुबह के पहले पहर की सुरुवात के समय की अज़ान बाद घंटे बजते थे । यह प्रक्रिया साथ साथ होती रही कहीं कोई दिक्कत नहीं मस्जिदों से 200 से 300 मीटर की दूरी पर बसे मुस्लिम्स के घरों तक आवाज़ पहुँचती थी ।

अज़ान होने पर कस्बे के तमाम हिन्दू व मुस्लिम समाज के लोगों में इस बात का विश्वास था कि अज़ान हो गई अब नमाज पढ़ने के लिए कस्बे के तमाम मोहल्लों से मुसलमान नमाज के लिए निकल चुके होंगे लोग जाग गए होंगे इस अज़ान के विश्वास पर महिलाएं शौच के लिए अपनी दिनचर्या के लिए सुबह चार बजे अपने अपने घरों से निकल जाया करतीं थीं ।

और दोपहर की अज़ान सुनकर लोगों को खाने की याद और काम रोककर आराम करने का खयाल या इंटरवल करता था।

शाम 6 बजे के लगभग होने वाली मगरिब की अज़ान ( गौ धुरिया ) से लोगों को अपने अपने काम बंद कर घरों को लौटने के लिए किसानों को अपने खेतीबाड़ी और चरवाहों के लिए अपने पशुओं को लेकर घर वापसी करते थे ।

लाउड स्पीकर उतारे जाने को लेकर मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष अल्ताफ हुसैन का कहना है कि जैसे जैसे देश में सामाजिक आर्थिक , शैक्षणिक विकास ने गति पकड़ी नागरिकों में सभ्यता का दर्जा भी बढ़ा लोग सभ्य होते गए अपने विकास के क्रम में रेडियो घड़ी और साइकिल और टेलीविजन ने अपने पैर पसारने सुरु कर दिए भारत के बड़े संगठनों ने अपनी राजनीतिक निष्क्रियता को सक्रिय करने और अपने धर्म को दुनिया में सबसे शानदार दिखाने के चक्कर में भारत के इतिहास के साथ छेड़छाड़ और धर्म का सहारा लेना सुरु कर दिया |

जो धर्म अपने [ बुजुर्गों ] देवी देवताओं के जीवनकाल में पूरे विश्व में नहीं छा पाया उसके फॉलोवर्स उसके मानने वाले विश्व भर में नहीं फैले आज उस धर्म के अनुयायी पूरे विश्व में अपने धर्म को फैलाने भारत को विश्व गुरु बनाने चलें हैं । अब उन्हें अज़ान की आवाज़ तेज लगने लगी है आज लगभग ढाई मिनट की अज़ान से उनको दिक्कते हो रही है उन्हें शादियों में घंटों तक बजने वाले डी जे साउंड दिल दहला देने वाली आवाज़ के खिलाफ कभी नहीं बोला न बाहर निकले तर्क दिया गया कि इससे लाखों युवा बेरोजगार हो जाएंगे |

उसके बाद आज जब समाज में टी वी वाशिंग मशीन , आटा चक्की , खराद मशीनें , कर और ट्रकों की आवाज़ हॉर्न की आवाज उन्हें मीठी लगती है अज़ान की आवाज़ बुरी । अभी रात में ही दो शादियों में घंटो डी जे बजा है अगवानी के दौरान नगर में आवागमन बाधित हुवा |

मस्जिद कमेटी के मैनेजर नवाब खान ने कहा है किसी भी धर्म स्थल से न हटाया जाये लाउड स्पीकर

आज जिस बात को लेकर शासन सत्ता के सहारे आवाज़ को कम करने की कवायद हो रही है तो वहीं मंदिरों और शिवालयों पर भी एक नजर डालनी चाहिए । युवा नेता नवाब खान ने कहा है कि मस्जिदों में जब से लाउड स्पीकरों का प्रयोग होने लगा है तभी से मंदिरों पर भी लाउड स्पीकर बजाने का प्रचलन है  । भारत में नए अविष्कारों में एक लाउड स्पीकर भी है जिसके प्रति लोगों में रुचि बढ़ी थी । बढ़ते पर्यवारण प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों को करीब के आवाज सुनने में दिक्कत आ रही थी तब मस्जिदों पर माइक से अज़ान और महफिलों में  लाउड स्पीकर की धारणा बढ़ी दूसरी तरफ मंदिरों पर भी लाउड स्पीकर चढ़ गया घण्टों कैसेट्स पर भजन चलता रहा ।

आदमी इतना आगे बढ़ चुका है वह चाहकर भी पीछे मुड़कर नहीं जा सकता है ऐसी स्थित में दोनो समुदायों को धार्मिक स्वतंत्रता और प्रार्थना के दृष्टगत भावनाओं की कद्र करते हुवे आगे बढ़ने का रास्ता देना चाहिये।यही देश का इतिहास रहा है 800 साल तक मुसलमानों की हुकूमत रही देश में यदि वर्तमान सरकार की तरह उनका व्यवहार हिन्दू समाज के साथ होता तो क्या होता सोचने वाले बात है जहाँ न्याय नहीं वहाँ अल्लाह को नहीं पाया जा सकता और मुसलमानों के लिए हमारा खुदा ही सब कुछ है |

सरकार को मंदिर और मस्जिद या अन्य आयोजनों पर बजने वाले लाउड स्पीकर और डी जे साउंड की आवाज की तीव्रता को लेकर इलेक्ट्रॉनिक यंत्र का विकास करना चाहिए जो सभी धार्मिक और अन्य आयोजनों में लगाकर आवाज की तीव्रता को अपने कंट्रोल में रखे। कि आयोजक चाहे जितना तेज बजाए आवाज माध्यम और सुरीली ही निकलेगी।

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