लैलतुल कद्र व जुमा अलविदा शंतिपूर्ण तरीके से संपन्न , इस्लाम में मरने के बाद भी लिया जाता है उसके गलतियों का हिसाब
इस्लाम धर्म के मानने वालों के लिए सबसे बड़ा फर्ज है अल्लाह के कानून को शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाना जिस धर्म में इन्साफ , मानवता , धैर्य , अल्लाह पर भरोषा नहीं वहां लोक कल्याण नहीं
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मुसलमानों के पवित्र माह रमजान में जिस दिन कुरआन के तीस पारे पढ़ कर पूरे होते हैं उस दिन रात को शबे कद्र या लैलतुल कद्र के नाम से जाना जाता है इस दिन लोग आधी रात में कब्रिस्तान जाते हैं और जितने भी मुसलमान वहां दफ़न होते हैं उनके लिए दुवा की जाती है क्योंकि इस्लाम धर्म में मरने के बाद आदमी से हिसाब किताब होता है आदमी अपनी जिंदगी में बहुत सारी गलतियाँ करता है ऐसे में उनके लिए दूवा जरूरी है जिससे अल्लाह मरने वालों से हिसाब किताब में आसानी फरमाता है |
जुमेरात में क़स्बा के तमाम जवान बूढ़े और बच्चे इस रात अपनों के लिए और समाज के लिए अमन चैन की दुव्वा मांगते हैं रात लगभग साधे बारह बजे अल्ताफ नेता और नवाब खान के नेतृत्व में जुलूस की शक्ल में लोग कब्रिस्तान को रवाना हुवे लोगों ने मौलाना सेराज की अगुवाई में सुवा पढ़ते हुवे और अल्लाह हो अकबर की षडाएं बुलंद करते हुवे कब्रिस्तान पहुंचे |
शुक्र वार जुमा के दिन अलविदा की नमाज में माँगी गई अमन – चैन की दुआ आज रमजान माह के आखिरी जुमा के मौके पर जामा मस्जिद शोहरतगढ में हजारों मुसलमानों ने अलविदा की नमाज अदा की है। अलविदा की नमाज की इमामत करते हुए हाफिज कारी सिराज अहमद ने मस्जिद में मौजूद नमाजियो को रमजान के रोजे की फजीलत के बारे मे बताया है। इमाम ने मुसलमानों से कहा है कि झूठ न बोलें बुरे काम से तौबा कर लें और नेक काम करने में लग जाए ।
इमाम ने कहा कि हमेशा के लिए रहना नही इस दार ए फानी में, कुछ अच्छे काम कर जाओ चार दिन की ज़िन्दगानी में । नमाज ए अलविदा अदा करने के बाद मुल्क में अमन चैन कायम करने की दुआ की गई है । इस मौके पर सदर जामा मस्जिद अलताफ हुसैन डा0 सरफराज आलम डा0 शादाब आलम इंजीनियर एजाज अहमद नाजिम नवाब खान शायर नुरुल हसन अब्दुल्ला कुरैशी , अजीज अहमद सहित हजारों मुसलमान मौजूद रहे ।