पर्यटको की आड़ में चल रहा तस्करी का गोरखधंधा
👍बस में नाम मात्र के होते है पर्यटक, अधिकाश होती है सवारियां
👍इसी बस से पीएम मोदी के कार्यक्रम के एक दिन पहले सुरक्षा एजेंसियों ने पकड़ा था चार बग्लादेशी नागरिक
👉इस बस में सवार श्री लंका के एक सवारी को वापस कर उसे सोनौली के रास्ते भेजा गया।
जे पी गुप्ता
सिद्धार्थनगर। जिले के भारत नेपाल सीमा के ककरहवा बॉर्डर से प्रतिदिन दिल्ली से बुटवल व काठमांडो तक कई बसों का आवागमन हो रहा है, कहने के लिए तो यह बस पर्यटकों के नाम पर चल रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है, पर्यटकों के आड़ में इस मार्ग से सवारियां ढोई जा रही है, इसी बस से सेटिंग के द्वारा तस्करी का गोरख धंधा भी चल रहा है।
अगर कोई आम आदमी अपनी गाड़ी को बॉर्डर से लेकर आता जाता है, तो उसके लिए सारे नियम कानून है, भारत और नेपाल में कई जगह उन्हें अपने गाड़ी व सामान को खोलकर चेक कराना पड़ता है, लेकिन दिल्ली से बुटवल, काठमांडो व दिल्ली तक चलने वाली इन बसों की चेकिंग नाम पर मात्र खाना पूर्ति की जा रही है |
इन वाहनों में चेकिंग के दौरान कई बार तस्करी के समान भी मिले लेकिन कोई कार्यवाही नही की गई। आम व्यक्ति को अगर भन्सार कराना हो तो उन्हें घण्टो तक भन्सार पर लाइन लगाना पड़ता है, लेकिन इन बस वालों का इनके एजेंटों द्वारा तत्काल भन्सार बनवा कर गाड़ी को आगे बढ़वा दिया जाता है।
अभी 16 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन था, उनके आगमन से एक दिन पहले दिल्ली से काठमांडो जाने वाली बस संख्या यूपी 17 टी 7934 से ककरहवा बॉर्डर पर एसएसबी के जवानों ने चार बंगला देशी नागरिको को गिरफ्तार किया था, इतना ही इन बसों से मानव तस्करी की सम्भावनाओ से भी इनकार नही किया जा सकता है।
इन वाहनों से आने जाने वाले एक एक व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी एकत्र कर तथा लगेज को पूरी तरह से चेक करने के बाद ही जाने दिया जाना देश हित मे होगा। या यूं कहें कि पर्यटक के नाम पर सवारियों को ढोया जाना देश के राजस्व को भी चूना लगाने का कार्य किया जा रहा है। लोगो मे चर्चा का विषय है कि क्या इन बसों का अंतरराष्ट्रीय सवारी ढोने का परमीशन बना हुआ है। भारी वाहनों को चेक करने का यंत्र और महिलाओं को चेक करने के लिए महिला आरक्षी का तैनाती यहां न होने से यह मार्ग इन सवारी गाड़ियों के लिए सबसे आसान मार्ग बना हुआ है।
बड़ी बात यह है कि इस बस से यात्रा करने वाले अधिकतर सवारियों के पास भारतीय आधार कार्ड और नेपाली नागरिकता दोनों रहती है। इस मार्ग से 8 से 10 बस रोज निकल रही हैं। जिसमे पर्यटक न होकर सवारियां होती। यही नही रविवार को भी इसी दिल्ली बुटवल वाली बस से बस वाले एक श्रीलंका के नागरिक को ककरहवा के रास्ते ही नेपाल ले जाने के फिराक में थे, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की सूझ बूझ से श्रीलंका के नागरिक को बस से उतरवाकर सोनौली के रास्ते नेपाल जाने का सलाह देकर सोनौली भेजा गया।
या यूं कहें कि यही सवारी बस जो पर्यटक के नाम पर सवारियों ढो रही है किसी दिन देश की सुरक्षा में सेंध भी लगा सकती है।