लीला चित्र मंदिर में दर्शन करते हुए राष्ट्रपति, चित्रों को देखकर इतने मंत्रमुग्ध हुए,कहा- ऐसी कल्पना इंसान की नहीं कर सकता
महेंद्र कुमार गौतम
गोरखपुर दौरे पर आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गीता प्रेस में लीला चित्र मंदिर का दौरा किया। यहां चित्रों को देखकर राष्ट्रपति मंत्रमुग्ध हुए। उन्होंने कहा कि ऐसी कल्पना इंसान की नहीं हो सकती यह दैव कृपा है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द शनिवार को गीताप्रेस के लीला चित्र मंदिर में देवी-देवताओं का दर्शन कर अभिभूत हुए। उन्होंने चित्रों को देखकर कहा कि यह संभव नहीं है कि एक इंसान इतनी सुंदर कल्पना कर सके। निश्चित तौर पर उसके ऊपर प्रभु की कृपा रही होगी। ऐसा ही विचार उन्होंने दूरबीन से पढ़ी जाने वाली लगभग छह इंच डायामीटर की गीता को देखकर भी व्यक्त किया। उनके साथ उनकी पत्नी सविता कोविन्द, बेटी स्वाती कोविन्द, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे।
लगभग छह इंच डायामीटर की हस्तलिखित गीता की पुस्तक देख व्यक्त किया आश्चर्य
हाथ से और फूल-पत्तियों के रंग से बनाए गए श्रीकृष्ण लीला, श्रीराम लीला, दस महाविद्या समेत देवी-देवताओं के चित्रों, दीवारों पर लिखी गई संपूर्ण गीता व संतों के दोहे-चौपाई तथा गीताप्रेस की पहली छपाई मशीन देखकर उनके चेहरे पर प्रसन्नता झलकने लगी। उन्होंने कहा कि ‘इस समय यह कार्य संभव नहीं है।’ लगभग छह इंच डायामीटर की हस्तलिखित गीता देखकर उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया। इस पुस्तक को पढ़ने के लिए वहां एक विशेष प्रकार का ग्लास रखा गया है।
उन्होंने पूछा कि इसे किसने लिखा है। लिखने वाले की जानकारी न मिलने पर मुस्कराते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं मान लेता हूं कि जिसने गीता कही, उन्होंने ही लिखवाई होगी। कोविन्द लीला चित्र मंदिर पहुंचने वाले दूसरे राष्ट्रपति हैं। 29 अप्रैल 1955 में इसका उद्घाटन करने देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद आए थे। तब उनके साथ गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में अगवानी करने के लिए महंत दिग्विजयनाथ महाराज उपस्थित थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की आगवानी के लिए गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद थे।
दो ग्रंथों का मुख्यमंत्री ने किया विमोचन
गीताप्रेस के शताब्दी वर्ष शुभारंभ अवसर पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के समक्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो ग्रंथों का विमोचन किया। इसमें आर्ट पेपर पर पहली बार प्रकाशित श्रीरामचरितमानस व गीताप्रेस के संस्थापक सेठजी जयदयाल गोयंदका द्वारा गीता पर लिखी टीका ‘तत्व विवेचनी’ शामिल थी। मुख्यमंत्री ने दोनों ग्रंथों की प्रथम प्रति राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द को भेंट की।
लीला चित्र मंदिर में ट्रस्टियों व गण्यमान्य लोगों ने राष्ट्रपति के साथ फोटो खिंचवाकर इस पल को यादगार बनाया। मंदिर दर्शन के दौरान उनके साथ गीताप्रेस के महासचिव विष्णु प्रसाद चांदगोठिया, ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल, देवीदयाल अग्रवाल, ईश्वर प्रसाद पटवारी व प्रबंधक लालमणि तिवारी आदि उपस्थित रहे।
दो बार बजाई गई राष्ट्रगान की धुन
कार्यक्रम में दो बार राष्ट्रगान की धुन बजाई गई। रेलवे सुरक्षा बल की टीम ने पहली बार राष्ट्रपति के आगमन पर धुन बजाई और दूसरी बार उनका संबोधन समाप्त होने पर। टीम का नेतृत्व सब इंस्पेक्टर पूर्णमासी प्रसाद कर रहे थे। टीम में संत बहादुर क्षेत्री, कुल बहादुर गुरुंग, राज गौतम, मो. ताहिर व कृष्णा गुरुंग समेत 19 लोग शामिल थे।
दर्शकों ने जाना गीताप्रेस का इतिहास
राष्ट्रपति के आगमन के पूर्व डाक्यूमेंट्री के जरिये दर्शकों ने गीताप्रेस का इतिहास जाना। गीताप्रेस की स्थापना से लेकर अब तक हुए विकास व प्रेस के उद्देश्य के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई। साथ ही मुख्य द्वार, लीला चित्र मंदिर व प्रेस से संबधित फोटो भी दिखाई गई।
आगंतुकों को वितरित की गई 400 पुस्तकें
कार्यक्रम में आने वाले हर व्यक्ति को जाते समय पांच पुस्तकें प्रदान की गईं। इनमें कल्याण का बोधकथा अंक, गीता प्रबोधनी, हनुमान चालीसा, अमृत बिंदु व शिक्षाप्रद ग्यारह कहानियां शामिल हैं। इन सभी की कीमत 345 रुपये है। चार सौ लोगों को पुस्तकें बांटी गईं। इस तरह 1.38 लाख रुपये की पुस्तकों का निश्शुल्क वितरण किया गया।
राज्यपाल को भेंट की गुजराती भाषा में पुस्तकें
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को गीताप्रेस प्रबंधन ने गुजराती भाषा में साधक संजीवनी (गीता) व श्रीरामचरितमानस की पुस्तकें भेंट की। उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया और प्रसन्नता व्यक्त की।
बैजनाथ अग्रवाल से पूछी कुशल-क्षेम
राष्ट्रपति ने जाते समय लगभग 90 वर्षीय ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल की कुशल-क्षेम पूछी। राष्ट्रपति ने कहा कि आप कैसे हैं? अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिए। बैजनाथ अग्रवाल ने हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया और कहा कि सब आपकी कृपा है।
कर्मचारियों ने किया अभिवादन
गीताप्रेस पहुंचने के बाद राष्ट्रपति सबसे पहले सत्संग भवन में गए। वहां गीताप्रेस के कर्मचारी उपस्थित थे। उन्होंने राष्ट्रपति का अभिवादन किया। इसके बाद वह लीला चित्र मंदिर की ओर बढ़ गए। कर्मचारियों को वही से लाइव टेलीकास्ट दिखाया गया।
कार्यक्रम से पूर्व गूंजते रहे भजन
राष्ट्रपति के आने के पूर्व गीताप्रेस परिसर में भजन गूंजते रहे। ‘ठुमकि चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया’ व ‘जग में सुंदर हैं दो नाम’ सहित कई भजन गूंजे। दर्शक दीर्घा में बैठे लोग भजनों का आनंद लेते रहे। माहौल भक्ति से ओतप्रोत था।
अंगवस्त्र व पुष्पगुच्छ से हुआ स्वागत
गीताप्रेस के ट्रस्ट्रियों ने अंगवस्त्र व पुष्पगुच्छ से अतिथियों का स्वागत किया। अलग-अगल ट्रस्टियों ने राष्ट्रपति, उनकी पत्नी, राज्यपाल व मुख्यमंत्री को अंगवस्त्र व पुष्पगुच्छ भेंटकर सम्मानित किया।