गांधी का विमर्श भारत के सभी क्षेत्रों में उपयोग करने योग्य है

kapilvastupost reporter

सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध केंद्र के तत्वाधान में शनिवार को प्रोफेसर रेवती रमण पांडेय स्मृति व्याख्यानमाला के द्वितीय व्याख्यान कार्यक्रम के अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य एवं ख्याति लाभ साहित्यकार प्रोफेसर चितरंजन मिश्र ने गांधी का सभ्यता विमर्श और साहित्य विषय पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा की महात्मा गांधी का संपूर्ण जीवन सृजन का रहा है, उन्होंने अद्भुत विमर्श की परिकल्पना के माध्यम से एक उत्कृष्ट भारत निर्मित करने का निरंतर आदर्श प्रस्तुत किया है।

महात्मा गांधी ने वैकल्पिक दुनिया के निर्माण का चिंतन दिया है, जो वर्तमान सभ्यता का महत्वपूर्ण विमर्श है। प्रोफेसर चितरंजन मिश्रा ने कहा कि भारत के तमाम दार्शनिकों ने समाज के विभिन्न दूर व्यवस्थाओं की तरफ चर्चा करते हुए विविध प्रकार की आलोचना की है। गांधी ने इसी समाज में इन आलोचनाओं के तथ्य और सत्य के सापेक्ष समाज के तमाम ऐसे बिंदुओं को छुआ है।

जो सामान्यतः दृष्टि से ओझल थे। उन्होंने उत्पादकता पर आधारित आत्मनिर्भर समाज का विमर्श दिया है, गांव उत्पादकता स्थानीयता श्रम गांधी के विमर्श के मूल बिंदु है। गांधी जी ने अपने चिंतन में वर्षों पूर्व आत्मनिर्भर भारत का अमर संदेश आने वाली पीढ़ी के लिए दिया था। इसलिए आज के समय में गांधी का विमर्श भारत के सभी क्षेत्रों में उपयोग करने योग्य है।

इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर हरि बहादुर श्रीवास्तव ने कहा कि महात्मा गांधी का सभ्यता विमर्श और उनका साहित्य की प्रासंगिकता भारत के लिए अनंत काल तक रहेगी। गांधी की कार्य विमर्श और उनका साहित्य भारत के विकास के आधार स्तंभ के रूप में प्रयोग कर आत्मनिर्भर भारत और नए भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

आज गांधी जी द्वारा सभ्यता का विमर्श और साहित्य वर्तमान वैश्वीकरण के युग में और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ अमरेंद्र कुमार सिंह ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि प्रोफेसर रेवती रमण पांडेय के दर्शन और उनकी दृष्टि पर अपना विचार रखते हुए कहा कि और प्रोफेसर रेवती रमण पांडेय दर्शनशास्त्र के प्रकांड विद्वान थे और गांधी के दर्शन से बहुत प्रभावित थे।

उनके जीवन में और उनके कृत्य में सहायता सरलता स्थानीयता और श्रम के प्रति अनुराग निरंतर पर परिलक्षित होता रहता। धन्यवाद ज्ञापन वाणिज्य संकाय अध्यक्ष प्रोफ़ेसर दीपक बाबू मिश्र ने किया। संचालन डॉ रेनू त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर सुशील तिवारी, डॉ आभा द्विवेदी, डॉक्टर रक्षा, डॉ सुनीता त्रिपाठी, डॉक्टर आजाद अमरजीत, डॉक्टर नीता यादव, प्रोफेसर देवेश कुमार सहित शिक्षक एव कर्मचारी उपस्थित रहे।

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