विद्यार्थी जीवन में संतुलित आहार है महत्वपूर्ण
असंतुलित आहार से हो रही बीमारियां
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का हुआ शुभारम्भ
kapilvastupost reporter
सिद्धार्थनगर। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर में गुरुवार को “राष्ट्रीय पोषण सप्ताह” के साप्ताहिक कार्यक्रम के आयोजन का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर “विद्यार्थी जीवन में संतुलित आहार का महत्व” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का आरंभ आजादी के अमृत महोत्सव की नोडल अधिकारी डॉ सुनीता त्रिपाठी के स्वागत वक्तव्य से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा ने विद्यार्थियों को संतुलित आहार, आचार- व्यवहार एवं दिनचर्या के महत्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवन शैली में व्याप्त आहार तथा आचार व्यवहार का असंतुलन व्यक्ति को अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रसित कर रहा है। आज छोटी उम्र में ही विद्यार्थी शुगर, बी.पी. तथा एनीमिया जैसी बीमारी का शिकार होने लगे हैं। यह सब असंतुलित आहार तथा कुपोषण का परिणाम है। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए हिंदी विभाग की सहायक आचार्य डॉ रेनू त्रिपाठी ने बताया कि हम अपने जीवन शैली में थोड़ा सा परिवर्तन करके तथा अपने भोजन में मौसमी फल हरी साग- सब्जियों तथा अनाज का प्रयोग करके संतुलित एवं पौष्टिक भोजन प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय जीवन प्रणाली में रसोई घरों में प्रयोग होने वाले मसालों में ही औषधि के गुण होते हैं जिन्हें आज हम भूलते जा रहे हैं। आज फिर से उन्हें अपनाने की जरूरत है। विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए लोक प्रशासन विभाग के सहायक आचार्य डॉ रवि कांत शुक्ल ने विद्यार्थियों को फास्ट फूड के प्रति बढ़ते आकर्षण से सचेत किया। उन्होंने कहा कि यह भोजन केवल हमारा पेट भरता है। इससे हमें पोषण नहीं मिलता है। विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ जय सिंह यादव ने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग एवं खेलकूद के साथ-साथ संतुलित तथा पौष्टिक आहार की भी अत्यंत आवश्यकता है। हमारा भोजन हमारे स्वास्थ्य को निर्धारित करता है। संस्कृत विभाग की सहायक आचार्य डॉ आभा द्विवेदी ने बताया कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है। विद्यार्थी जीवन की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि वह अपना अधिक से अधिक समय अध्ययन में दे। इसके लिए यह जरूरी है कि वह शरीर से निरोग एवं मन से प्रसन्न रहो। शरीर और मन का आपस में अन्योन्याश्रित संबंध होता है। इसलिए मन को स्वस्थ रखने के लिए पहले शरीर का पोषण एवं स्वस्थ होना अनिवार्य है। कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डॉ सुनीता त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के इस आयोजन में पूरे सप्ताह विद्यार्थियों को स्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों जैसे कुपोषण तथा एनीमिया से बचने के उपाय, संतुलित एवं पौष्टिक आहार तथा स्वस्थ जीवनशैली से संबंधित विभिन्न विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की जाएंगी तथा स्वास्थ्य से जुड़ी सामान्य समस्याओं के संबंध में चिकित्सकीय परामर्श भी उपलब्ध कराया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन इतिहास विभाग के सहायक आचार्य डॉ यशवंत यादव ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ धर्मेंद्र ने किया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के आचार्यगण तथा छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।