आदर्श गौशाला सियाँव नानकार – अव्यस्था का शिकार होती गाय और भूखे पेट कामगार
निज़ाम अंसारी
शोहरतगढ़ विकास खंड अंतर्गत सियाँव नानकर स्थित आदर्श गौशाला महज तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कहने को यह मुख्यमार्ग पर स्थित है लेकिन वहां पहूंचना दूर की कौड़ी है क्योंकि आने जाने वाले चकरोड मार्ग पर लोगों का कब्ज़ा हो गया है | गौशाला में क्षमता से अधिक गायें हील दूल नहीं पाती हैं परिसर के अन्दर एक फीट की कीचड़ में खड़े जानवर अपने उपर प्रशासन से टीन शेड की मांग करती हुई नजर आती हैं और तो और उनकी देख रेख में लगे आधा दर्जन से अधिक कामगार की भी हालत दयनीय है लोगों की तीन महीने से मानदेय भी नहीं मिला है न उनके रहने क लिए और न ही शौचालय की ही व्यवस्था कराई गयी है |
गौशाला को शासन द्वारा 207 पशुओं का ही खर्चा दिया जाता है जबकि वर्तमान समय में गायों की संख्या 300 से अधिक है | जिसकी गिनती करके बढे हुवे जानवरों के जीवन निर्वाह की व्यस्था नहीं है पहले पाओ पहले खाओ के आधार पर गाय अपना गुजारा करती हुई नजर आती है | अव्यवस्था के चलते अभी पिछले महीने ही एक दर्जन से अधिक गायों की मौत हो गयी उसका कोई पुरसाहाल तक नहीं बावजूद इसके प्रशासन की तरफ से इसकी कोई सही व्यवस्था लागू नहीं की गयी है | बरसात के दिनों में गौशाला तक न भूसा न हराचारा पहूंचाया जा सकता है आने जाने के रास्ते पर कब्ज़ा होने के कारण उसपर खडंजा भी नहीं है जिसके लिए किसी तरह के बजट का प्रावधान नहीं किया गया है | भरी कीचड में खड़ी रहने वाली गायों को हर समय गंभीर बीमारी का खतरा बना हुवा है | कम ऊँचाई की चार दीवारी से चीजें अक्सर गायब भी हो जाती हैं |
अव्यवस्थाओं को लेकर संवाददाता ने खंड विकास अधिकारी संगीता यादव से बात की और बिन्दुवार चर्चा के दौरान मैडम ने कहा की संख्या क्षमता से अधिक है लेकिन सिर्फ सियाँव में ही नहीं मस्जिदिया धनगढ़िया आदि में भी यही स्थित है अभी बीते माह में ही पशुओं के लिए हरा चारा और दाना के लिए साधे तीन लाख रूपये उपलब्ध करवाया गया है |
गौशाला में क्षमता से अधिक गायों के मुद्दे पर बी डी ओ ने बताया कि नए गौशाला निर्माण के लिए तहसील प्रशासन से मिलकर जगह तलाशने के बाद निर्माण होते ही गायों को शिफ्ट कर दिया जायेगा |
कामगारों के मानदेय को लेकर संगीता यादव ने कहा कि यह ग्राम पंचायत निधि से ही दिया जाता है जिसके लिए प्रावधान है बजट आते ही प्रधान पेमेंट करेंगे | बहरहाल सबके अपने अपने दावे और उनका अपना सच होता है लेकिन जब व्यवस्था चाक चौबंद है तो गाय मर क्यों रही है |यह एक बड़ा सवाल है सब पर इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए |