गोवर्धन पूजा पर विशेष – सरकार का ऑफिसियल गौ हत्या केंद्र देखें विडियो

इन्द्रेश तिवारी / रमेश गुप्ता / अभिषेक शुक्ल / निज़ाम अंसारी

दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। सूर्यग्रहण के कारण आज बुद्धवार को देशभर में मनाया जा रहा है लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है।

इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गंगा ।

गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। ऐसे गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है।

गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की पूजा की जाती है वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा संचालित गौशाला गायों की मौत का केंद्र बनती जा रही हैं |

एक तरह से ऑफिसियल गौहत्या केंद्र के रूप में गौशालाएं देखी जा रही हैं जहां अव्यवस्था और जगह की कमी समय समय पर दाना और चारे के लिए पैसा उपलब्ध न होना डॉक्टरों द्वारा समय समय पर गायों का निरीक्षण परीक्षण नहीं हो पाना एक बड़ा कारण रहा है।

सरकार की संवेदना का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके नेता कार्यकर्ता किसी गाँव में पशुओं की हड्डी भी देख लेते हैं तो 4 मुसलमानों पर मुकदमा दर्ज हो जाता है।

यहां तो गौशाला ही सवालों के घेरे में है कि यहां मरने वाली गायों की जिम्मेदारी किसी की नहीं न प्रधान न सेक्रेटरी न बी डी ओ और न ही सी डी ओ और न सरकार में बैठे नेता और मंत्री ही तो क्या वर्तमान समय में गौशाला ऑफिसियल गौ हत्या केंद्र के रूप में काम कर रही हैं जहाँ दर्जन भर लोगों की निगरानी होने के बाद भी गाय की सुरक्षा संरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।

आदर्श गौशाला में अव्यस्था का शिकार होती गाय और सरकार के प्रयास   

शोहरतगढ़ विकास खंड अंतर्गत सियाँव नानकर स्थित आदर्श गौशाला महज तीन किलोमीटर की दूरी पर यह मुख्यमार्ग पर स्थित है  गौशाला में क्षमता से अधिक गायें हील दूल नहीं पाती हैं परिसर के अन्दर एक फीट की कीचड़ में खड़े जानवर अपने उपर प्रशासन से टीन शेड की मांग करती हुई नजर आती हैं |

बहुत ही बुरी दशा में गाय अपना जीवन दाँव पर लगाकर जिंदगी जी रही है पिछले एक सप्ताह में एक दर्जन के लगभग गाय मर गयी इस सम्बन्ध में रिपोर्टर ने मौके पर प्रधान पुत्र अंकित से पुछा की सरकार के इतना व्यवस्था देने के बाद भी गाय क्यों मर रही है |

जिस पर उनका कहना था कि पिछले हफ्ते भारी वारिश के कारण बीमारी फ़ैल गयी गायों का इलाज कराया जा रहा था उपर से क्षमता से अधिक गाय है जिससे उनके देख रेख में समस्या आ रही है |

गाय वाली सरकार के नेता गौ सेवा में किसी भी प्रकार का हीला हवाली नहीं चाहते हैं सरकार हर संभव मदद व प्रयास करती नजर आती है बावजूद गायें मर रही हैं तो क्या सरकार को प्रत्येक गाँव आधारित गौशाला की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए जिससे गौशाला का लोड कम हो और बेहतर देखभाल के आधार पर उनका जीवन बचाया जा सके

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