समाजवादी पार्टी का वर्चस्व तोड़ने के लिए किसको उतारेगी भाजपा

राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी फिर उतरेंगे मैदान मे

दुर्गेश मूर्तिकार

बांसी। नगर निकाय चुनाव का रणभेरी बज चुका है।नगर पालिका में शतरंज के बिसात बिछ चुके हैं। यहां पर कहा जाता है कि चेहरे किसी और के और चाल कोई और चलता है।भाजपा के लिए अंगूर बने सीट को कई बार से उछल कर पकड़ने की तैयारी तो की जाती है परंतु आखिर में अंगूर खट्टे हैं कह कर संतोष कर लिया जाता है। सूत्रों के अनुसार बांसी नपा के सर्वे पर लखनऊ का परिक्रमा भारी पड़ जाता है।

विधानसभा और लोकसभा में भाजपा को लगातार जीत दिलाने वाली जनता आखिर बांसी के विकास की गाथा क्यों नहीं तय करती है। टिकट मांगने वालों की लम्बी लिस्ट देखकर लखनऊ में बैठे हेड कमान क्या फैसला लेते हैं ये बात अलग है परंतु जमीनी स्तर पर विष्णु जायसवाल की धर्मपत्नी पूनम जायसवाल के बारे में आम नगरवासी का कहना है कि परिणाम बदल सकतीं हैं।

लगातार नगर पालिका पर अपना परचम फहरा चुके राजनीतिज्ञों को यहां के आबो- हवा के बारे में इतना जानकारी हो चुका है कि किस वोटर को कैसे प्रभावित करना है। कुछ नगर वासियों का कहना है कि जायसवाल परिवार द्वारा यहां पहले भी अपना परचम फहराया जा चुका है और अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले में उनका वजन भी भारी है।रही बात समीकरणों की तो 20 या 30 हजार मतदाताओं में समीकरण विशेष प्रभावी नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार भाजपा के अग्रिम पंक्ति के सिपाही बने सोनू जायसवाल के समर्थन में भाजपा के काफी लोग आ चुके हैं।

सोशल मीडिया पर भी अभूतपूर्व समर्थन मिल रहा है।पोस्टर बैनर की जंग में भी सीट घोषित होने के पश्चात आगे दिखलाई पड़ रहे नए प्रत्याशी के बारे में लोगों का कहना है कि अगर सत्तारूढ़ दल ने टिकट नहीं दिया तो चुनाव लडने की संभावना भी क्षीण हो सकती है।बरसों से नगर वासियों के सुख दुख मे मदद कर रहे सोनू जायसवाल के बारे में जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में विजय के पश्चात नगर निकाय चुनाव लडने की हलचल बढ़ा दिए हैं।देखना है कि जनभावनाओं की उम्मीदें विजई होती हैं या लखनऊ से बांसी के विकास गाथा को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया जाता है।

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