इंटरनेट की चलन ने मोबाइल में समेट लिया है भावनात्मक परम्पराएं

डा0 शाह आलम

वर्षो पहले तक नए साल के मौके पर दुकानों से लेकर मकानों तक धमाल मचाने वाला ग्रीटिंग कार्ड बाजारों से गांव तक नहीं दिख रहा है। अब महज यादगार बनकर रह गया हैं। मोबाइल व इंटरनेट के बढ़ते चलन ने उन्हें पूरी तरह से अपने में समेट लिया है । जिससे भावनात्मक बधाइयों को सहेजकर रखने की परम्परा पूर्ण रूप से समाप्त हो गई है।


बता दें कि आज से तकरीबन दो-तीन दशक पहले जब दिसम्बर का महीना खत्म होने को होता था, ऐसे में तरह-तरह की डिजाइन में छपे ग्रिटिंग कार्डों से बाजार सज जाते थे।उन ग्रीटिंग कार्डों पर छपे आकर्षक फूल,दिल का फोटो, हीरो हीरोइन के आकर्षण चित्र मन को लुभा लेता था जिससे न चाहकर भी लोग खरीद लेते थे। बाजार में ग्रीटिंग कार्ड से सजे दुकानों पर बिकने वाले कार्डों पर हैप्पी न्यू ईयर, नया साल मुबारक हो, नव वर्ष मंगलमय हो, आई लव यू आदि तमाम आकर्षक दिल दीमाग को केन्द्रित करने वाले शब्द होते थे ।

इसके अलावा उन ग्रीटिंग कार्डों को देने वाला व्यक्ति अपनी हैंड राइटिंग में दो-चार लाइन की भावनात्मक इबारतें भी अपनी ओर से जोड़ कर अपनी भावना प्रकट कर देता था ।जिससे उस कार्ड को पाने वाला व्यक्ति भीऔर भावुक हो जाता था। उसे संजोकर यादगार के रूप में कई वर्षों तक रखता था। दिसम्बर के अंतिम तारीख से लेकर 15 जनवरी तक ग्रीटिंग कार्ड आदान- प्रदान करने का सिलसिला जारी रहता था।

यही वजह होता था कि बाजार में हर प्रकार का ग्रीटिंग कार्ड उपलब्ध रहता था।एक मित्र दूसरे मित्र को,छात्र- छात्राएंअपने शिक्षकों व सहेलियों को व रिश्तेदारों को ग्रीटिंग कार्ड देकर नव वर्ष की बधाई देते थे और भूली बिसरी यादों को एवं बीते साल के खट्टी मिट्ठी यादगार को खुशी खुशी तरो – ताजा करते थे, साथ ही समाज के सम्मानित लोग, नेताओं व अधिकारियों को भी ग्रीटिंग कार्ड व डायरी देकर नए साल की बधाई देते थे ।

अपने व्यक्तिगत व्यवहार व व्यापार को तरो-ताजा करते थे।घर से बाहर किसी दूसरे शहर में रहकर कमाने वाले व्यक्ति भी डाक द्वारा ग्रीटिंग कार्ड भेजकर अपने चहेतों को बधाई दिया करते थे । जनवरी लगते ही पोस्ट आफिसों पर ग्रीटिंग कार्ड भेजने वालों की भीड़ उमड़ी रहती थी । उसके जरिए व्यक्ति को एक दूसरे से सीधे रूबरू होने का अवसर मिलता था। ग्रिटिंग कार्ड को लेकर विशेष रूप से युवाओं में खास उत्साह देखा जाता था। लेकिन डेढ़ दशक पूर्व से बढ़ा एंड्रायड मोबाइल की रफ्तार ने नव वर्ष के मौके पर दिए जाने वाले ग्रीटिंग कार्ड को पूरी तरह से खत्म कर दिया है।

अब तो सिर्फ इंटरनेट से नकल करके बने -बनाए फोटो व पहले से लिखे हुए शब्दों के साथ अपना नाम जोड़कर एक दूसरे के मोबाइल पर भेज दिया जा रहा है।इस प्रक्रिया के चलन ने ग्रीटिंग कार्डों की तरह भावनात्मक लगाव को हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर दिया है। अब तो पुरानी यादों के साथ विलुप्त हो रहा अपनत्व और भावनात्मक यादें केवल यादगार बनकर रह गई है।

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