रास्ट्रीय पक्षी मोर के लिए रिज़र्व वन्य क्षेत्र न होने से सुरक्षा को खतरा , मोर बने ग्रामीण बच्चों के लिए बने मनोरंजन का साधन

इसरार अहमद


खुनियांव विकास खंड क्षेत्र स्थित ग्राम पंचायत बेलवा के जंगलों में राष्ट्रीय पक्षी भारी संख्या में विचरण करते नज़र आ रहे हैं। इटवा होरिलापुर मार्ग से समीप गांव के पूरब दक्षिण स्थित परासी नाले से सटे हरी छाल केले के बागों सहित जंगलों में लगभग एक दशक से अपना अस्थाई ठिकाना बना चुके हैं।

ग्रामीणों के मुताबिक़ उक्त स्थान पर राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या हज़ारों में है, खेत खलिहान देखने जाते बच्चे सहित ग्रामीण उनके झुंड व नृत्य को देखकर उत्साहित हैं, मोरों की आवाज़ से आसपास के खेत खलिहान सहित केले के बाग़ में हरियाली के बीच मोर भारी संख्या में नज़र आ रहे हैं।

आस पास के किसान यहां रंग बिरंगे मोरों के अलावा काले रंग के मोर भी दिखाई देते हैं, बता दें कि काले रंग के मोर काफ़ी दुर्लभ प्रजाति के होते हैं, मोरों के परासी नाले के समीप जामुन के जंगलों में विचरण करने के साथ ग्रामीणों ने यहां मोरों के अंडे भी देखे हैं, इससे प्रतीत होता है कि उक्त स्थान काफ़ी सुरक्षित है, जहां वो अपना ठिकाना वर्षों से बनाकर रह रहे हैं, और अब वो यहां अपना स्थाई ठिकाना चाहते हैं।

प्रगतिशील किसान अरुण राय,सुदर्शन मौर्या, बुद्धिराम वरुण, प्रशांत राय,भारत वरुण, राम सागर मौर्या, मो इसरार, मो.यूसुफ , राम कृष्ण यादव ने बताया कि रात के समय अधिकांश मोर जंगलों में रहते हैं, भोर में खेतों के तरफ़ भोजन के लिए निकलते हैं, गेहूं के दाने, कीड़े मकोड़े चुंगते देखे जा रहे हैं, एक साथ दर्ज़नो मोर झुंड बनाकर कर चलते हैं।

इन दिनों शीतलहर में पूरे दिन खेतों में देखा जा रहा है, शाम में अपने अपने ठिकाने चले जाते हैं। हल्की बारिश में अक्सर रंग बिरंगे मोर नृत्य करते हैं, और अपने सुरीली आवाज़ से जंगल के बाहर मंगल मना रहे होते हैं। स्थानीय गाय -भैंस बकरियों को चराने जाते बच्चों का मनोरंजन व पिकनिक पॉइंट बन चुका है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि मोर यहां अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, लेकिन जंगलों में अज्ञात जानवरों से ख़तरा बना रहता है, कई बार जंगलों में अवशेष देखे गए हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों ने वन विभाग से जंगलों में ही मोरों को समुचित रूप से सुरक्षा देते हुए संरक्षित करने की मांग की है।

इस सम्बन्ध में वन क्षेत्राधिकारी अवधेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय पक्षी मोर को कोई ख़तरा नहीं है, रही बात उसके स्थाई ठिकाने को लेकर तो वन विभाग में ऐसी कोई व्यस्था स्थाई ठिकाना बनाने के लिए नहीं है, उनकी सुरक्षा हो रही है, समय समय पर वन विभाग के कर्मियों द्वारा जानकारी लिया जा रहा है,उनकी सुरक्षा हेतु स्थानीय ग्रामीणों की मदद लिया जा रहा है।

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