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भारत नेपाल सीमा पर स्ठित अधिकतर गाँव में खाद को डंप कर धीरे धीरे साईकिल , मोटर साईकिल , टेम्पो द्वारा नेपाल में सीधे पहूंचाया जाता है खाद सीमा से नजदीक या दस किलोमीटर दूर खाद के दूकान पर तस्करों की सीधी पहुँच |
दो दिन पूर्व हुई एस एस बी की कार्यवाही का नहीं दिखा तस्करों में डर , वही चेहरे रोज रोज खाद ढोते आते हैं नजर नेपाल की तरफ जाने वाली हर सड़क और पगडण्डी पर खाद ढोने वाले आते हैं नजर |
गुरु जी की कलम से
यूरिया खाद की चोर बाजारों और तस्करी से के कारण जहां यूरिया खाद नहीं मिल रही है वही सूखी पड़ी है नहर किसानों को शूझ। नहीं रहा है कोई डगर पता चला है कि विकासखंड बढ़नी में स्थित राप्ती मुख्य नहर में तो कुछ पानी है लेकिन उससे निकलने वाली शाखों में पानी न होने के कारण किसान परेशान है अगर यही हालत रही तो विकासखंड बढनी के मधवा नगर, बैरीहवा ,परसोहिया, परसा ,परसा दीवान , पत्थर देईयाआदि लगभग आधा दर्जन गांवों के किसान रवि की फसल की सिंचाई और सिंचाई के बाद खेत में यूरिया खाद डालने के लिए लोग परेशान है|
लोगों का कहना है कि गेहूं की फसल सूख रही है फिर भी नहर में पानी नहीं छोड़ा जा रहा है एक तो पहले ही डाई खाद की कीमत और न मिलने के कारण फसल बिना खाद के ही कुछ लोगों ने बो दिया है अब अगर समय से नहर में पानी नहीं छोड़ा जाता सिंचाई भी नहीं होती तो यदि बाद में पानी छोड़ भी दिया जाता है तो उसका कोई मतलब नहीं निकलता है |
तो वही कहावत के चरितार्थ होगी का वर्षा जब कृषि सुखाने वाली हालत हो जाएगी कह ने का मतलब यह है कि जब गेहूं के फसल को सिंचाई की जरूरत है तो उसे समय नहर में यदि पानी नहीं है तो अगर बाद में नहर में पानी छोड़ा ही जाता है तो उसे किसानों को क्या लाभ होगा खाद और पानी की समस्या से किसान इस कदर जूझ रहा है कि उसे कोई रास्ता दिखाई नहीं पड़ रहा है शासन एवं सत्ता में बैठे हुए अधिकारियों कर्मचारियों को चाहिए कि मुख्य नहर से निकलने वाली छोटी शाखोंओ मैं पानी छोड़ दिया जाए जिससे किसान समय से ही फसलों की सिंचाई कर सके जिससे गेहूं या रवि की फसल की उपज बरकरार रहे|
खाद के लिए मचा हाहाकार, अन्नदाता दर-दर भटकने को मजबूर व लाचार कुछ साधन सहकारी समिति पर लोगों ने अधिक दामों पर यूरिया बेचने का लगाया आरोप – इटवा, डुमरियागंज, सोहरतगढ़, नौगढ़ और बासी, सहित तमाम ग्रामीण क्षेत्रों में यूरिया खाद के लिए किसान दर-दर भटक रहे हैं. खाद न मिलने की वजह से एक तरफ जहां फसलों की सिंचाई के बाद खाद डालने में देरी हो रही है।
किसानों को समय से खाद नहीं मिल पा रही है एक तरफ जहां कृषि कानून को लेकर पिछले कई महीनों से किसानों का आंदोलन चल रहा है।
वहीं दूसरी तरफ पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पहले डीएपी के लिए हाहाकार मचा हुआ था अब यूरिया खाद के लिए हाहाकार मचा हुआ है. खाद न मिलने की वजह से अन्नदाता काफी परेशान हैं और हालात यह है कि लाइन में लगने के बाद भी किसानों को जरूरत के मुताबिक यूरिया खाद मुहैया नहीं हो पा रही है।
प्राईवेट दुकानों की बात करें तो अन्नदाताओ को 350-380 रूपये प्रति बोरी यूरिया खाद दिया जाता है वहाँ मनमाना दाम वसूला जाता शासन की मंशा के अनुसार प्राईवेट दुकान हो या समिति हो वर्तमान समय में 266.50 रूपये प्रति बोरी यूरिया का रेट है उससे अधिक दामों पर नहीं बेचा जाना चाहिए यह कोई भेज रहा है उसके ऊपर विधि कार्रवाई की जाए|
मिली जानकारी के अनुसार परसैया और बैरियावा से रात को 4:00 बजे ही खाद तस्करों की लाइन लग जाती है वह खाद भरौली अमन तिराहा होते हुए सीधे नेपाल भेज दी जाती है |इस बात की जानकारी कुछ भ्रष्ट वर्दी धारीको भी है| लोहटी का तो क्या hi कहना दिनभर चलता है धंधा |
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