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Kapilvastupost reporter
सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कला संकाय भवन में स्थापित ‘पं० दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ’ के तत्वावधान में मानव एकात्मवाद के पक्षधर पं० दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर शनिवार को एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया।
उक्त कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यातिथि प्रोफेसर सुशील कुमार तिवारी तथा अतिथियों द्वारा ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर दीपार्चन एवं विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्राओं द्वारा सरस्वती वन्दना और कुलगीत गायन के साथ हुआ।
उक्त विशेष व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुशील कुमार तिवारी ने अपने मुख्य वक्तव्य में पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि देने के उपरांत दर्शन की दृष्टि से एकात्म मानववाद को परिभाषित करते हुए कहा कि मानववाद को समझने के लिए दो शब्दों को समझना होगा जिससे यह एकात्म मानववाद निर्मित हुआ है। 1. एकात्म तथा 2. मानववाद। एकात्म का अर्थ है- पृथ्वी पर स्थित समस्त मानव में एक ही आत्मा निवास करती हैं। यही आत्मा हम सभी मानव को मानववाद से परिचित कराती है, एक मानव का दूसरे मानव से कोई भी भेद नहीं है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का आत्मिक चिंतन बहुत ही गहरा रहा है। वह भारत राष्ट्र को विश्व पटल पर स्थापित करना चाहते थे। राष्ट्र को विकास के विभिन्न अंगों और उपायों के मानदंड पर स्थापित करना चाहते थे।
भारतीय मनीषियों की पूरी यात्रा आंतरिक दृष्टि से संपूर्ण जगत को वृत्त के परिधि के एक केंद्र के रूप में देखने की थी। जिस प्रकार किसी वृत्त की परिधियां तो अनंत हो सकती हैं किंतु उसका केंद्र एक ही होता है, ठीक इसी प्रकार हमारा राष्ट्र होना चाहिए। पंडित दीनदयाल की दृष्टि इसी परिप्रेक्ष्य में थी कि हमारा राष्ट्र समग्र विश्व का केंद्र बने। उन्होंने साथ ही साथ यह भी कहा कि विचार खोखले होते हैं किंतु उसकी पूर्णता अनुभव से होती है। दीनदयाल जी कहते थे एकात्मवाद विश्व में समस्त अस्तित्व वाली समस्त वस्तुओं के एडजस्टमेंट से संबंधित है, जिसको गंभीरता से उन्होंने समझा। उनके विचार में मानववाद और मानवतावाद दोनों एक नहीं हैं। मानववाद केवल मानव से संबंधित है जबकि मानवतावाद समस्त जीवो और अस्तित्व वाली वस्तुओं से है, यदि आप एकात्मवाद समझ गए तो मनुष्य में विकास की अनंत संभावनाएं हो सकती है।
इस अवसर पर विशिष्ट के रूप में प्रोफेसर सौरभ श्रीवास्तव, प्रो. दीपक बाबू मिश्र, प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा, डॉ. सच्चिदानंद चौबे, डाॅ. नीता यादव डॉ. प्रज्ञेश नाथ त्रिपाठी, डॉ.सत्येंद्र कुमार दुबे, डॉ. सुनीता त्रिपाठी, डॉ. जय सिंह यादव, डॉ.धर्मेंद्र कुमार, डाॅ. यशवंत यादव, डॉ.अब्दुल हफीज, डॉ. बाल गंगाधर, डॉ. दीपक जायसवाल डॉ. हरेंद्र कुमार शर्मा, डॉ. रेनू त्रिपाठी, डॉ. वंदना गुप्ता डॉ. सरिता सिंह डॉ. आभा द्विवेदी डॉ. मन्नू खान एवं कला संकाय में पदस्थ समस्त लिपिक, अध्ययनरत समस्त प्री पीएचडी कोर्स वर्क के छात्र-छात्राएं तथा स्नातक एवं परास्नातक के छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।
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