कब्र / समाधि भवन मौत का प्याला व यातना देने वाला हवेली है – मौलाना गुफरान फैजी
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– कोतवाली लोटन के ग्राम भितपरा मे एक दिवसीय इजलास कार्यक्रम सकुशल सम्पन्न
– इजलास से जनजागरण उत्पन्न होता है , लोगों मे विचार अच्छे उपज होते हैं
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जाकिर खान
सिद्धार्थनगर । कब्र /समाधि भवन मौत का प्याला व यातना देने वाला हवेली व सेंटर है । इसका दूसरा नाम आख़िरत का महल भी हैं । करनी अच्छी तो कब्र शांति का महल होगा । करनी खराब होगें तो कब्र पीड़ा देने वाला , यातना देने वाला, पाप की सज़ा, पापों का वह दंड जो यमलोक में मिलता है , कष्ट, से भरपुर एक हवेली होगा । अब तै आप और मुझे करना है । कौन सा महल और कौन सी हवेली के उत्तराधिकारी बने । अपना आखिरी मंजिल और हवेली कब्र है ।
उक्त बाते शुक्रवार कि रात को कोतवाली लोटन क्षेत्र के ग्राम भितपरा मे इक़बाल के भाई के सहन मे आयोजित एक दिवसीय इजलास के मुख्य अतिथि युवा मौलाना गुफरान फैजी ने लोगों को खेताब करते हुए कहा । उनहोंने आगे कहा कि कब्र मे दुख, यातना, तकलीफ़, दुख दर्द، पीड़ा से बचना है तो नेक बने और कर्म अच्छे करें ।
इसी क्रम मे इजलास को मौलाना मोहम्मद अहमद फैजी बिन फारुक ने खेताब करते हुए कहा कि माता – पिता कि सेवा से बढ़ कर कोई सेवा नही । माता पिता कि नाराजगी अल्लाह की नाराजगी है । उस घर मे कभी अल्लाह कि रहमत नही आती जिस घर मे माता- पिता कि तौहीन हो ।
समाज का सबसे बुरा इंसान वो है जिसके माता- पिता उससे नाराज हो । और प्यारा और अच्छा वो होता जो अपने बुजुर्ग माँ बाप को खुश रखता हो । इंसान वो खुश नसीब है जिसे अच्छी बीबी मिल जाय । किसी भी बहन बेटी को सताने का इस्लाम ने इजाजत नही दी है । इस्लाम मे पति और पत्नी का बराबर का हक है । किसी भी मैदान मे कोई किसी से कम नही
बीबीयों को बेहतर व्यवस्था दो । बीबी कि जिम्मेदारी है कि वो अपने पति कि सम्मान करे । सबसे बेहतर औरत वो है जो अपने पति को हर हाल मे खुश् रखे । पारिवारिक अपराध स्वतः खत्म हो सकता है ।
इसी क्रम मे मौलाना वाजिद अब्दुल आखिर ने छोटी सी गज़ल -अगर ईमां सलामत हैं । तो मन मैला नही होता । जो सदका बांट देते हैं ।उनका धन कभी मैला नही होता । जो हम खुद को बचा लेते जहा कि धूल मिट्टी से तो बदन मैला नही होता । जिन्हे कुरआन कि आयत जबानी याद हैं । लहद महफूज रह्ती हैं । कफन मैला नही होता । हमारे मुल्क के रहबर नशे मे चूर रहते हैं। अगर ए होश मे होते वतन मैला नही होता ।