शिव पार्वती विवाह : प्रसंग सुन मन्त्र मुग्ध हुए श्रोता
निज़ाम अंसारी
शोहरतगढ़ क़स्बा स्थित केन्द्रीय मंदिर श्रीराम जानकी मंदिर पर आयोजित नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के चौथे दिन अयोध्या धाम से पधारे कथा व्यास स्वामी सूर्यकांताचार्य जी महाराज ने शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया।राम प्रकाश दास,अमर वैदिक शांति नारायण त्रिपाठी ने संगीत के माधयम भजन व नाट्य नृत्य के माध्यम से शिव-पार्वती विवाह की बहुत ही सुंदर झांकी निकाली गई।
शिव विवाह का वर्णन करते हुए कथा वाचक सुर्यकांताचार्य ने कहा कि पर्वतराज हिमालय की घोर तपस्या के बाद माता जगदंबा प्रकट हुईं और उन्हें बेटी के रूप में उनके घर में अवतरित होने का वरदान दिया। इसके बाद मां पार्वती हिमालय के घर अवतरित हुईं। बेटी के बड़ी होने पर पर्वतराज को उसकी विवाह की चिंता सताने लगी।
उन्होंने कहा कि माता पार्वती बचपन से ही बाबा भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं। एक दिन पर्वतराज के घर महर्षि नारद पधारे और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का संयोग बताया। मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति रुप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या किया |
भगवान नारायण की इच्छा से भगवान भोलेनाथ विवाह करने के लिए नंदी पर सवार भोलेनाथ भूत-पिशाचों के साथ बरात लेकर पहुंचे तो उसे देखकर पर्वतराज और उनके परिजन अचंभित हो गए, लेकिन माता पार्वती ने खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार किया। विवाह प्रसंग के दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी पर श्रद्धालुओं ने पुष्पों की बरसा की।
श्रद्धालुओं से भरा पूरा पांडाल भोलेनाथ के जयकारों से गूंज उठा। पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।इस दौरान राजेंद्र बोरा,रामसेवक गुप्ता, बृजेश वर्मा ,सतीश मित्तल,किशोरी लाल,भोलेनाथ वर्मा,नंदू गौड़,रवि अग्रवाल ,दुर्गा प्रसाद त्रिपाठी आदि उपस्थित रहें।