श्रीमदभागवत कथा के सातवे दिन भगवान श्रीकृष्ण और रूक्मणी के विवाह की कथा सुन भावविभोर हुवे श्रोता
निज़ाम अंसारी
शोहरतगढ़/सिद्धार्थ नगर
विकास खण्ड शोहरतगढ़ के ग्राम पंचायत लुचुइया मे श्रीमदभागवत कथा के सातवे दिन भगवान श्रीकृष्ण और रूक्मणी के विवाह की कथा सुनकर श्रोतागण भावविभोर हो गए और पुष्पो की वर्षा करने लगे।
विकास खण्ड शोहरतगढ क्षेत्र के ग्राम पंचायत लुचुइया गांव मे स्थित शिव मंदिर पर चल रहे नौ दिवसीय संगीतमय श्रीमदभागवत कथा मे कथाव्यास संतोष शुक्ल महाराज जी ने श्रीकृष्ण और रूक्मणी विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री रूक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्री कृष्ण के रूप, सौन्दर्य और गुणो की प्रसंशा सुनी तो मन ही मन मे प्रेम करने लगी और श्रीकृष्ण से विवाह करने की निश्चय किया।
रूक्मणी का बड़ा भाई रूक्मी भगवान श्रीकृष्ण जी से शत्रुता रखता था, जिससे अपनी बहन का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था,शिशुपाल अधर्मी था।रूक्मणी को जब इस बात का पता चला तो अपने संदेशवाहक के द्वारा श्रीकृष्ण जी को संदेश भेजवायी की हम आप से विवाह करना चाहते है। हम आप से बहुत प्रेम करते है आप जल्दी करे, नही तो अच्छा नही होगा।
तब श्री कृष्ण जी ने योजना बनायी और रूकमणी के विवाह के दिन पूजा करने मन्दिर गयी मंदिर से ही रूक्मणी का हरण कर द्वारिका को चल दिये। जिस रास्ते मे रूक्मी श्रीकृष्ण को रोककर युद्ध को ललकारा ,श्रीकृष्ण और बलराम ने युद्ध मे रूक्मी को पराजित किये। और द्वारिका पहुंच कर धूमधाम से रूक्मणी के साथ विवाह किये।
रूक्मणी साक्षात लक्ष्मी की अवतार थी। कथा के बीच बहुत सुन्दर श्रीकृष्ण और रूक्मणी की झांकी निकाली गई जिससे भक्तिमय हुए श्रद्धालुओ ने विवाह के दौरान फूलो की वर्षा की। कथा सुनने आये ग्रामीण भक्तो से पूरा पंडाल भरा हुआ था।
श्रीमदभागवत कथा के आयोजक प्रधान संघ जिलाध्यक्ष डा०पवन मिश्र और राजेश शुक्ल ने कथा मे दूर दूर से आये भक्त गण शान्ति नरायण त्रिपाठी पप्पू बाबा, सुरेश मिश्रा, राकेश राज, रामानंद पाण्डेय, उमेश कुमार, सौरभ गुप्ता,कमलेश मिश्रा आदि अतिथियो को अंग वस्त्र देकर स्वागत किये।