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ज्यादा दूरी तक यात्रा करने वाली ट्रेन बीच में ही अपना पहला नंबर बदलकर दूसरा अलग नंबर लेकर यात्रियों के लिए सर दर्द पैदा करती हैं
गुरु जी की कलम से
बढ़नी रेलवे स्टेशन से होकर के दो सवारी गड़ियां दूर तक जाती है लेकिन रास्ते में ही अपना गाड़ी नंबर बदलकर यात्रियों के लिए मुसीबत खड़ी कर देती है|
एक गाड़ी बहराइच से गोरखपुर होती हुई बनारस तक जाती है विगत दिनों दोनों नेताजी ने कहा था की बढ़नी से होकर सीधी ट्रेन दूर-दूर तक चलाई जाएंगी नेताजी का एक कथन तो सही निकला की बहराइच से चलकर बढ़नी होकर वाराणसी तक जाने वाली ट्रेन पर साधारण टिकट लेकर यात्रा कर सकते हैं रास्ते में आपको ट्रेन बदलना नहीं पड़ेगा|
बताया जाता है कि रेलवे प्रशासन द्वारा बहराइच से लेकर गोरखपुर होते हुए जो ट्रेन बनारस तक जाती है इस ट्रेन को बहराइच से गोरखपुर के बीच चलते समय रेलवे विभाग ने एक ट्रेन नंबर दिया है |
और फिर जब वही ट्रेन गोरखपुर से वाराणसी के लिए जाती है तो उसी ट्रेन का नंबर बदलकर दूसरा हो जाता है|
ट्रेन के नंबर बदलने से ही तमाम समस्या खड़ी होती है जिस से हालत यह हो जाती हैं कि आप अगर बहराइच से बनारस की यात्रा स्लीपर क्लास या उसके उपर क्लास में करना चाहते हैं तो आपको बहराइच से गोरखपुर तक एक टिकट लेना होगा और फिर गोरखपुर से बनारस के लिए अलग से एक दूसरा टिकट लेना पड़ेगा|
रही बात वातानुकूलित क्लास की तो उस क्लास का गोरखपुर से बहराइच के बीच किसी भी स्टेशन से टिकट ही नहीं मिलता है
ट्रेन में जो वतानुकूलित बोगीया लगी रहती है उन में यात्रा करने के लिए टिकट ही नहीं मिलता इस प्रकार से बेवजह वातानुकूलित बोगियों को गोरखपुर से बहराइच तक दौड़ाया जाता है|
ऐसी बोगियो को गोरखपुर से बहराइच के बीच रेल पटरी पर दौड़ने का क्या लाभ होता है यह तो रेलवे विभाग के लोग ही जान सकते हैं|
फिलहाल यहां के यात्रियों का कहना है कि जो भी लोग बहराइच से लेकर के वाराणसी तक की यात्रा स्लीपर या वातानुकुलित डिब्बे में करना चाहते हैं उनके लिए केवल एक ही टिकट की व्यवस्था की जाए बहराइच से लेकर के गोरखपुर के बीच में पढ़ने वाले स्टेशनों पर एसी कोच की बुकिंग की व्यवस्था की जाए|
लोगों का कहना यह है कि यह ट्रेन तो एक ही होती है लेकिन इसका नंबर रेलवे प्रशासन द्वारा पता नहीं क्यों बीच में बदल दिया जाता है जिसके कारण रेलवे विभाग द्वारा एक टिकट निर्गत नहीं किया जाता है |
यदि इस ट्रेन का नंबर एक ही हो तब तो एकही टिकट से काम चल जाए लेकिन प्रशासन ने एक ही ट्रेन को दो नंबर देकर के गाड़ियों की संख्या बढ़ाने का कीर्तिमान स्थापित करने का मन बना लिया है |
रेलवे विभाग के उच्च अधिकारियों को चाहिए कि या तो इस ट्रेन का एक ही नंबर बनारस से लेकर बहराइच तक रखा जाए या इसमें यह सुविधा प्रदान किया जाए कि बहराइच से लेकर के गोरखपुर के बीच किसी भी स्टेशन से टिकट लेने के बाद बनारस तक केवल एक ही टिकट पर यात्रा कर सकते हैं|
समस्या यह है कि जो भी व्यक्ति बढ़नी से लेकर गोरखपुर के आगे किसी स्टेशन बनारस तक यात्रा करेगा करना चाहता है तो उसे गोरखपुर उतरना पड़ता है वहां उतर के उतने ही कम समय में बनारस के लिए टिकट खरीदते समय स्थिति यह होती है कि लोग उतर करके टिकट खरीदने जाते हैं उसके पहले ही ट्रेन छूट जाती है|
सीधी रेल सेवा करने उपलब्ध कराने का वादा तो हुआ लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप बिना बीच में रुके ही यात्रा पूरी कर सकेंगे |
रेलवे विभाग द्वारा बहराइच से लेकर के बाबा भोलेनाथ की नगरी वाराणसी तक सीधी रेल सेवा उपलब्ध कराई गई है|
आप बहराइच से लेकर गोरखपुर के बीच किसी दूसरे स्टेशन पर चढ़कर बनारस की यत्रा करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए दो टिकट खरीदना पड़ेगा पहला टिकट आपको अपने स्टेशन से लेकर के गोरखपुर तक का लेना पड़ेगा |
दूसरा टिकट गोरखपुर से लेकर बनारस तक का लेना पड़ेगा यदि आप बहराइच से लेकर के गोरखपुर के बीच किसी भी स्टेशन से अपनी यात्रा शुरू करते हैं तो आपको बनारस तक यात्रा करने के लिए दो टिकट खरीदने। पडेगे पहला टिकट आपको गोरखपुर तक की यात्रा करने के लिए दूसरा टिकट गोरखपुर से आगे की यात्रा बनारस तक करने के लिए लेना पड़ेगा|
इसी प्रकार की एक ट्रेन मैलानी से चल कर कलकत्ता जाती है उसका भी नंबर गोरखपुर से बदल दिया जाता है और उस ट्रेन में भी यही समस्या होती हैं।
जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए दोनों रेल गाड़ियां सीधे चलती है इन गाड़ियों में अनारक्षित टिकट से यात्रा करने वालों की तो चांदी रहती है लेकिन आरक्षित टिकट से यात्रा करने के इच्छा रखने वाले लोगों के लिए बहुत ही बड़ी समस्या खड़ी होती है|
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