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घोटाले का भंडाफोड़ सिद्धार्थ नगर के हिंदुस्तान टाइम्स के जांबांज रिपोर्टर के द्वारा प्रकाश में लाया गया और धीरे धीरे अंजाम तक पहुँच रहा है |
Democrate
सिद्धार्थनगर में सरकारी संस्थाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार एक बार फिर सामने आ गया है। प्रदेश के सार्वजनिक उपक्रम पीसीएफ (प्रांतीय सहकारी खाद्य समिति) के अधिकारियों द्वारा किए गए करोड़ों के घोटाले ने जिले की प्रशासनिक कार्यशैली और जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। शनिवार को इस मामले में पीसीएफ के तत्कालीन जिला प्रबंधक अमित कुमार चौधरी, सहायक गणक उमानंद उपाध्याय, राकेश दत्त त्रिपाठी और दुर्गेश कुमार के खिलाफ चौथा मुकदमा दर्ज किया गया है।
इस बार आरोप और भी गंभीर हैं—अनाधिकृत रूप से शासकीय धन की निकासी, सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ और कर्मचारियों को धमकी देना। शिकायत पीसीएफ के वर्तमान जिला प्रबंधक विजय प्रताप पाल ने दी है, जिसमें बताया गया कि पूर्व अधिकारियों की मिलीभगत से 1.55 करोड़ रुपये का सरकारी धन गबन किया गया।
पीसीएफ के गेहूं और धान परचेज खातों के बैंक स्टेटमेंट की जांच में यह खुलासा हुआ कि जिन लोगों ने कोई सरकारी कार्य नहीं किया, उनके खातों में लाखों की रकम ट्रांसफर की गई। राकेश दत्त त्रिपाठी और उनके साले दुर्गेश कुमार पर सीधे तौर पर इस घोटाले में शामिल होने का आरोप है।
इससे पहले भी इन दोनों कर्मचारियों पर 11 करोड़ रुपये के गबन, चेक वितरण रजिस्टर की चोरी और साक्ष्य मिटाने के प्रयास को लेकर केस दर्ज हो चुका है। अब तक पीसीएफ के इन दोनों कर्मियों पर चार मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि पूरे मामले में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं।
प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल
सवाल यह है कि वर्षों से चल रहे इस घोटाले पर प्रशासन की आंखें क्यों बंद थीं? क्या स्थानीय प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी थी, या फिर जानबूझकर आंख मूंदे रखा गया? इस स्तर का घोटाला बिना अधिकारियों की संलिप्तता के संभव नहीं लगता।
न्यायिक जांच की मांग
इस मामले में निष्पक्ष और गहन जांच जरूरी है। केवल पुलिसिया कार्रवाई से भरोसा नहीं बनता। एक स्वतंत्र न्यायिक जांच कमेटी बनाकर पूरे मामले की तह तक जाकर दोषियों को कठोर सजा दिलाना ही जनहित में होगा। साथ ही पीसीएफ जैसी संस्थाओं की कार्यप्रणाली की समीक्षा करना समय की मांग है।
यह घोटाला केवल धन की लूट नहीं, बल्कि व्यवस्था पर हमला है। अगर अब भी इसे रोकने के प्रयास नहीं हुए, तो सरकारी संस्थाएं जनता की सेवा के बजाय लूट का अड्डा बन जाएंगी।
अब तक 10 लोगों को बनाया जा चुका है आरोपी
जिले में वित्तीय वर्ष 2023-24 में धान खरीद में हुए करोड़ों के घोटाले में अब तक 10 लोगों पर केस दर्ज हो चुका है। इसमें पीसीएफ के तत्कालीन जिला प्रबंधक व भुगतान अधिकारी, छह क्रय केंद्र प्रभारियों व दो लोगों पर बिना काम किए ही सरकारी धन आहरित करने के आरोप में केस दर्ज हुआ है।
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