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बाँसी में बुलडोजर चला, अब “नया निर्माण” की तैयारी – लेकिन क्या ये बेघरों का इंसाफ है या जमीन की नई साजिश?
परमात्मा उपाध्याय की रिपोर्ट
सिद्धार्थनगर: बाँसी नगर पालिका क्षेत्र के मंगल बाजार में आज चला बुलडोजर सिर्फ दीवारें नहीं तोड़ गया, बल्कि प्रशासन पर भरोसे की नींव भी हिला गया। तहसील और नगर पालिका प्रशासन ने भारी पुलिस बल के साथ अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत एक दर्जन से अधिक घर और दुकानें गिरा दीं।
प्रशासन का दावा – ये ज़मीन रामलीला समिति की थी।
स्थानीयों का सवाल – जब रजिस्ट्री, लगान रसीदें और पुराने दस्तावेज़ हैं, तो फिर ये “अवैध” कैसे?
इस बीच नगर पालिका परिषद अध्यक्ष चमन आरा रायनी का बड़ा बयान सामने आया है। उनका कहना है कि इस जमीन पर नगर पालिका द्वारा दोबारा निर्माण कराया जाएगा – दुकानें और मकान बनाए जाएंगे, और कार्रवाई में उजड़े दुकानदारों को वरीयता दी जाएगी।
सवाल उठता है – क्या यही ‘पुनर्वास’ है?
पहले बुलडोजर से उजाड़ो, फिर उन्हीं से नए निर्माण में किराया वसूली की तैयारी करो?
पीड़ितों के अनुसार, अगर उनकी जमीन वाकई अतिक्रमण थी, तो पहले पैमाइश और न्यायिक प्रक्रिया होनी चाहिए थी। लेकिन यहां तो प्रशासन ने पहले गिराया, फिर न्याय की बात की।
अब चेयरपर्सन कह रही हैं कि वही जमीन पर नगर पालिका दुकानें बनाएगी और बेघरों को उसमें वरीयता देगी। तो क्या ये पहले से तय प्लान था?
क्या पहले से तय था कि ये जमीन खाली कराकर ‘सरकारी दुकानें’ खड़ी की जाएंगी?
ये पूरा मामला अब सिर्फ अतिक्रमण हटाओ नहीं, बल्कि प्रशासनिक योजना और हितों के टकराव का प्रतीक बन गया है।
क्या ये बुलडोजर विकास के लिए चला या जमीन के सौदेबाजी की तैयारी का हिस्सा है?
ये सवाल अब हर जागरूक नागरिक को पूछना चाहिए।
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