पीएचसी नौगढ़ परिसर, ओपीडी, पीडब्लूडी में जलभराव से सांसत
अभिषेक शुक्ल
सिद्धार्थनगर। दो दिन से हो रही बारिश से कई सरकारी दफ्तर बदहाल हो गए हैं। पीएचसी नौगढ़ परिसर व ओपीडी कक्ष में पानी भरा है और पीडब्लूडी परिसर एवं गेस्ट हाउस में भी जलभराव हो गया है। ऐसा ही हाल ड्रेनेज खंड सिंचाई विभाग एवं वन विभाग कार्यालय का है। यहां जलभराव से निजात का कोई स्थायी प्रबंध नहीं किए जाने से लोग हर साल सांसत झेलते हैं।
36 घंटे की बारिश से शहर में स्थित कई सरकारी कार्यालयों की स्थिति अस्त-व्यस्त हो गई है। बृहस्पतिवार और शुक्रवार को पूरे दिन हुई बारिश से पीएचसी नौगढ़ परिसर में जलभराव हो गया है। यहां तक कि अस्पताल की ओपीडी कक्ष में पानी भरा हुआ है। अस्पताल में स्थित लेबर रूम तक जाने के लिए परिसर में जलभराव से होकर गुजरना पड़ रहा है। महिलाओं के प्रसव संबंधी आकस्मिक सेवा के लिए परिजनों को सांसत झेलते हुए वहां तक आना-जाना पड़ रहा है।
पीडब्लूडी कार्यालय में खराब सड़क की शिकायत करने पहुंचे उसका क्षेत्र के दयाराम का कहना था कि जब विभाग के कार्यालय का यह हाल है तो इससे क्षेत्र की सड़कों की मरम्मत की उम्मीद करना बेमानी है। ड्रेनेज खंड सिंचाई विभाग और वन विभाग कार्यालय का हाल यह है कि जलनिकासी का इंतजाम नहीं होने से परिसर में जलभराव हो रहा है। इन कार्यालयों में आने वाले फरियादियों के साथ ही यहां तैनात कर्मियों को सांसत हो रही है।
टपकती है पीएचसी एवं सिंचाई कर्मियों के आवास की छत
पीएचसी नौगढ़ एवं आवासीय भवन के आसपास जलभराव के साथ ही भवन की छत भी टपकती है। ऐसा ही हाल ड्रेनेज खंड सिंचाई विभाग के आवासीय भवनों का है। यहां परिसर में पानी भरा है। पुराने हो चुके आवासीय भवनों की छत टपक रही है। कर्मी हर समय हादसे की आशंका से डरे रहते हैं।
निचली भूमि पर स्थित है कार्यालय
शहर के पुराने हिस्से में कई वर्ष पूर्व निर्मित हुए पीएचसी नौगढ़, पीडब्लूडी कार्यालय, वन विभाग एवं सिंचाई विभाग के कार्यालय और आवासीय हिस्से निचली भूमि पर स्थित हैं। इसी कारण प्रत्येक वर्ष बरसात के मौसम में यहां जलभराव से कर्मियों के साथ ही फरियादियों को भी सांसत झेलनी पड़ती है। यहां आसपास निर्मित हुए नए निजी भवन ऊंचाई पर हैं, जबकि सरकारी दफ्तर बदहाल हैं।
पंपसेट से निकालते हैं पानी
हर बरसात में वन विभाग और सिंचाई कार्यालय परिसर से जलभराव से निजात के लिए पंपसेट लगाकर पानी निकाला जाता है। कार्यालयों से पानी निकालने के लिए कई दिनों तक पंपसेट चलाना पड़ता है। इससे सड़क क्षतिग्रस्त हो जाती है और राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
नए भवन के निर्माण का स्वीकृत नहीं हुआ प्रस्ताव
निचली भूमि पर कार्यालय, गेस्ट हाउस एवं आवासीय परिसर का निर्माण होने से जलभराव की समस्या हो रही है, इससे निजात के लिए 8.5 करोड़ रुपये लागत से नए भवनों के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, लेकिन अब तक स्वीकृति नहीं मिली है। जैसे ही शासन से स्वीकृति मिलेगी, नए कार्यालय एवं अन्य भवनों का निर्माण कराया जाएगा। -बीके गुप्ता, अधिशासी अभियंता, पीडब्लूडी