संग्रहालय में लगाई गई प्राचीन भारतीय मुद्राएं विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी
kapilvastupost reporter
सिद्धार्थनगर। आजादी का अमृत महोत्सव एवं विश्व धरोहर सप्ताह के अवसर पर राजकीय बौद्ध संग्रहालय पिपरहवा सिद्धार्थनगर द्वारा हमारी विरासत प्राचीन भारतीय मुद्राएं विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ शनिवार को किया गया जो 25 नवंबर तक चलेगा। इतिहास के निर्माण में प्राचीन भारतीय सिक्कों का अपना महत्वपूर्ण योगदान रहा है । सिक्के एक ओर जहां राजाओं के वंशवृक्ष, उनके महान कार्य, शासनकाल, तथा उनके राजनीतिक एवं धार्मिक विचार पर प्रकाश डालते हैं वहीं दूसरी ओर राजा की व्यक्तिगत अभिरुचि, संपन्नता, एवं राज्य की सीमाओं को भी निर्धारित करने में सहायक होते हैं। पुराने सिक्के चांदी, सोना, तांबा, शीशा इत्यादि धातु के बनते थे।
प्राचीन काल में आज जैसी बैंकिंग प्रणाली नहीं थी इसलिए लोग अपना पैसा मिट्टी और शीशे के बर्तनों में बड़ी हिफाजत से जमा कर जमीन के अंदर रखते थे। जो आज हमे खुदाई के दौरान मिल जाते है। ऐसे अनेक निधियां जिनमें ना केवल भारतीय सिक्के से बल्कि विदेशी सिक्के भी प्राप्त हुए हैं। सिक्कों का काम दान दक्षिणा, खरीद बिक्री और वेतन मजदूरी के भुगतान में होता था इसलिए सिक्कों से आर्थिक इतिहास पर भी महत्वपूर्ण प्रकाश पड़ता है।सबसे अधिक सिक्के मौर्योत्तर कालों में मिले हैं जो मुख्य रूप से सोने, चांदी और तांबे के हैं। सातवाहन राज्य में शीशे के भी सिक्के जारी किए गए थे। गुप्त शासकों ने सर्वाधिक शुद्ध सोने के सिक्के जारी किए। इन सब से पता चलता है कि उस समय व्यापार वाणिज्य अपने चरम पे था। संग्रहालय द्वारा आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी में सिक्कों के प्रारंभ से लेकर वर्तमान में उनके ढालने की प्रक्रिया को छाया चित्रों के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया गया है।
भारत के प्राचीनतम सिक्के जिन्हें आहत सिक्का के नाम से जाना जाता है, सिक्के बनाने तथा उन पर चिन्ह अंकित करने की विधि को छाया चित्रों के माध्यम से दिखाया गया है। तत्पश्चात जनपदों के सिक्के, भारतीय यवन सिक्के, एवं सातवाहनों के सिक्कों के छाया चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किए गए हैं। प्रदर्शनी में कुषाण एवं गुप्त राजाओं के सोने चांदी एवं तांबे के सिक्कों के अतिरिक्त मध्यकालीन सिक्कों के छायाचित्र भी आकर्षण के केंद्र हैं। प्रदर्शनी के भ्रमण से जन सामान्य को इन महत्वपूर्ण प्राचीन धरोहरों के विषय में अत्यंत सहज रूप में जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।
प्रदर्शनी का उद्घाटन पूर्व माध्यमिक विद्यालय बहोरवा के प्रधानाध्यापक मोहम्मद एम. डी. आजाद ने किया उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि मुद्राएं किसी भी देश की संस्कृति एवं सभ्यता का प्रतिबिंब होती हैं। इससे तत्कालीन इतिहास की अर्थव्यवस्था की जानकारी मिलती है जिससे हमारी आगामी पीढ़ियों को हमारी विरासत का ज्ञान होता है। संग्रहालय के वीथिका सहायक रामानंद प्रजापति ने कहा कि संग्रहालय द्वारा विविध विषयों पर नियमित रूप से प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है।
उक्त प्रदर्शनी में 80 छात्र-छात्राओं तथा गुरुजनों की सहभागिता रही। प्रदर्शनी के अवसर पर हिमाशू, ओम प्रकाश पाण्डेय, सुनील, जितेंद्र पांडेय, प्रमोद चौधरी, कैलाश शाहनी, धीरेंद्र चौधरी, सुनील चौधरी, योगेंद्र शुक्ला, वाहिद, कमरुद्दीन, ममता श्रीवास्तव, मीना पाठक, संगीता यादव, साधना चौधरी, पूनम यादव आदि उपस्थित रही।