टीबी से ठीक होने में दवा, पोषक आहार व भावनात्मक सहयोग की बड़ी भूमिका


गोद लेकर 17 मरीजों को स्वस्थ बना चुकी हैं अनुराधा
सही पोषण के साथ मनोबल बढ़ाने का करती हैं काम

इंद्रेश तिवारी सिद्धार्थनगर, 19 जनवरी 2023
शोहरतगढ़ क्षेत्र के तुलसियापुर निवासी 20 वर्षीय हमीना (बदला नाम) बताती हैं कि छोटे-मोटे काम धंधे से किसी तरह परिवार चल रहा था। इसी दौरान वर्ष 2019 में सर्दी-जुकाम-बुखार ने घेर लिया, जांच करायी तो टीबी की पुष्टि हुई। इस मुश्किल वक्त में शिक्षिका अनुराधा त्रिपाठी ने भरपूर मदद की। पोषक आहार की व्यवस्था करने के साथ ही घर-परिवार वालों से मिलकर मनोबल भी बढ़ाती रहीं। इसी का नतीजा रहा कि नियमित दवा लेने और पोषक आहार के सेवन से छह माह में पूरी तरह टीबी से मुक्त हो गयी। मास्क लगाकर और स्वस्थ व्यवहार अपनाकर परिवार को भी टीबी से सुरक्षित बना लिया। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग ने भी पूरा साथ निभाया और दवा मुहैया कराने के साथ ही जरूरी सावधानी बरतने के बारे में भी जागरूक किया।
उस्का बाजार क्षेत्र के पकड़ी निवासी अनुराधा त्रिपाठी टीबी मरीजों को गोद लेने के बाद स्वस्थ होने तक बराबर ख्याल रखती हैं और बाद में भी फॉलोअप करती रहती हैं। यही कारण है कि मरीजों से उनके पारिवारिक रिश्ते बन गए हैं। वह मरीज व परिवार को समझाती हैं कि टीबी का इलाज पूरी तरह संभव है, बस जरूरत है आवश्यक सावधानी बरतने की। दवा का नियमित सेवन करना है, दवा बीच में छोड़ने से बीमारी गम्भीर बन सकती है। पिछले चार वर्षों में वह 17 टीबी मरीजों को प्रेरित कर बीमारी से स्वस्थ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अनुराधा त्रिपाठी बताती हैं कि वह ब्लॉक क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय महरिया में तैनात हैं। राज्यपाल की टीबी मरीजों को गोद लेने की अपील के बाद उनके अंदर भी सहयोग की भावना जगी। इसके बाद वर्ष 2019 से टीबी मरीजों को गोद लेने की शुरूआत की। इस दौरान टीबी के बारे में स्वास्थ्य विभाग से जरूरी जानकारी हासिल की और मरीजों के घरों पर भ्रमण शुरू किया। उनका और परिवार वालों का मनोबल बढ़ाया कि नियमित दवा सेवन और पौष्टिक आहार से जल्दी ही पूरी तरह स्वस्थ हो सकते हैं। मरीज व परिवार के सम्पर्क में रहने से रिश्ते भावनात्मक रूप से जुड़ते चले गए। परिवार वाले भी समझने लगे कि वह उनके ही हित की बात कर रही हैं। इनके बताए अनुसार चलने पर बीमारी से ठीक हुआ जा सकता है। मरीज स्वस्थ होने पर उधर से गुजरने पर अपने घर परिवार के सुख-दु:ख की बात करता है। त्योहारों पर बातचीत होने लगती है। इस तरह रिश्ते मजबूत होते चले गए।
अनुराधा ने सबसे पहले वर्ष 2019 में 11 टीबी मरीजों को गोद लिया। वर्ष 2020 में पांच, 2021 में तीन टीबी मरीजों को गोद लेकर स्वस्थ बनाने का काम किया। वर्ष 2022 में एक मरीज को गोद ली है, जो अभी उपचाराधीन है।
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पौष्टिक आहार भी जरूरी
अनुराधा बताती हैं कि कमजोर वर्ग के मरीजों का आर्थिक रूप से मदद करती हैं, ताकि मरीज पौष्टिक आहार का नियमित सेवन कर सके। बीमारी से स्वस्थ होने में पौष्टिक आहार का सेवन भी जरूरी है।
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मरीजों को गोद लेने में निक्षय मित्रों का बड़ा योगदान
जिले में वर्ष 2022 में 379 लोगों ने 1608 टीबी मरीजों को गोद लिया। वर्तमान में निक्षय पोर्टल पर 134 निक्षय मित्र पंजीकृत हैं।

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