लोकतंत्र की कामयाबी के लिए विपक्ष की तर्कों का सम्मान आवश्यक
सिद्धार्थ विश्व विद्द्यालय में अम्बेडकर की 131 वीं जयंती मनाई गई
जे पी गुप्ता
सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर में संस्कृत विभाग के सौजन्य से त्रिदिवसीय अंबेडकर जयंती समारोह के अंतर्गत 12 अप्रैल को पोस्टर प्रतियोगिता 13 अप्रैल को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर एवं उनका जीवन दर्शन विषय पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया। पोस्टर प्रतियोगिता में स्नातक प्रथम सेमेस्टर की छात्रा महिमा शुक्ला ने प्रथम, अभिषेक रस्तोगी ने द्वितीय तथा संस्कृत परास्नातक द्वितीय सेमेस्टर के छात्र आनंद कुमार पासवान ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
निबंध लेखन प्रतियोगिता में परास्नातक संस्कृत द्वितीय सेमेस्टर कि छात्र आनंद कुमार पासवान को प्रथम स्नातक प्रथम वर्ष के विशाल कुमार पाण्डेय को द्वितीय तथा परास्नातक इतिहास द्वितीय सेमेस्टर के छात्र जितेंद्र कुमार को तृतीए स्थान प्राप्त। सभी विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार के रूप में संविधान की प्रस्तावना तथा अंबेडकर की जीवनी से संबंधित पुस्तकें मुख्य अतिथि के द्वारा प्रदान किया गया।
गुरुवार को बाबासाहेब अम्बेडकर की 131 वीं जयंती मनाई गई। उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि योगेंद्र लाल भारती उपायुक्त अवतार ओ सुधार ने कहा कि बाबा साहब का जीवन संघर्ष जब हम सभी लोग पढ़ते हैं तो हम पाते हैं कि उनके द्वारा अत्यंत विषम परिस्थितियो मे भी ज्ञान की अभिलाषा बनी रही और लक्ष्य पाने में कभी भी उनकी नकारात्मक भावना नहीं रही। वह हमेशा सकारात्मक सोच के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहे।
लोकतंत्र में विपक्षी की सकारात्मक भूमिका अर्जेंट महत्वपूर्ण है डॉक्टर अंबेडकर द्वारा गोलमेज सम्मेलन, संविधान सभा के डिबेट इत्यादि कि अध्ययन से पता चलता है कि उन्होंने विपक्ष के विचारों का आदर करते हुए अपने तर्कों के माध्यम से विपक्ष को महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमत करने का प्रयास किया। लोकतंत्र की कामयाबी के लिए विपक्ष की तर्कों का सम्मान आवश्यक है।
संविधान के साथ-साथ लोकतंत्र की कामयाबी के लिए संविधान को बनाए रखना आवश्यक है। समाज में समानता लाने के लिए समान के साथ समानता का व्यवहार किंतु असमान लोगों के मध्य राज्य द्वारा सकारात्मक प्रयास करके समान लोगों के समानांतर खड़ा करना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि डॉ अनीता यादव एसोसिएट प्रोफ़ेसर प्राचीन इतिहास विभाग ने कहा कि बाबा साहब सदैव समाज के शोषितों और पीड़ितों के प्रति न्याय के लिए संघर्ष करते रहे। उन्होंने कहा कि महिला अध्यन केंद्र प्रमुख होने के नाते हम गांव गांव घूमते हैं और महिलाओं को शिक्षित करते हैं कि बाबा साहब ने महिलाओं के लिए हमें जो संवैधानिक अधिकार दिए उसी के माध्यम से हमें समाज में बराबरी का दर्जा मिला है। मध्यकालीन भारतीय समाज में महिलाएं भी शोषित एवं दलित वर्ग में आती थी। किंतु आज बाबा साहब द्वारा संविधान में दिए गए अधिकारों के माध्यम से ही महिलाएं देश के विकास में सेवा के प्रत्येक क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद चौबे ने कहा कि बाबा साहब को किसी एक वर्ग विशेष का मसीहा कहना ठीक नहीं हैं। वह तो समाज के और देश के प्रत्येक वर्ग के महानायक रहे हैं। बाबा साहब के संघर्ष, शिक्षा और तटस्थता से प्रेरणा लेकर और उनके विचारों को अपने दैनिक जीवन में अपना कर हम समाज और राष्ट्र में आदर का पात्र बन सकते हैं। उक्त जयंती समारोह में डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार सहायक आचार्य संस्कृत विभाग ने कार्यक्रम का संयोजन तथा संचालन किया एवं संस्कृत विभाग प्रभारी एवं सहायक आचार्य डाक्टर आभा दिवेदी ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का आभार ज्ञापन प्रस्तुत किया।
उक्त अवसर पर डा. सुनीता त्रिपाठी, डॉ सत्येंद्र दुबे, डॉ जय सिंह यादव, डॉ अविनाश प्रताप सिंह डॉट नीरस सिंह डॉ सरिता सिंह, डॉ वंदना गुप्ता, डाक्टर अमित कुमार साहनी, डॉ संतोष सिंह, साकेत मिश्र तथा सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।