शोहरतगढ़ विधानसभा 302 – समाजवादी पार्टी से टिकट पाने की मारा मारी , लखनऊ बना अखाड़ा

ब स पा से राधारमण त्रिपाठी घोषित प्रत्याशी , कांग्रेस से डॉ सरफ़राज़ का टिकट लगभग पक्का माना जा रहा है | भारतीय जनता पार्टी में गोविन्द माधव बनाम सिद्धार्थ चौधरी में से कोई एक टिकट को लेकर अफरा तफरी नहीं

निज़ाम अंसारी

शोहरतगढ़ / सिद्धार्थनगर

वैसे तो चुनाव में हर विधानसभा सीट पर सभी पार्टियों के कैंडिडेट्स की आपस में होड़ रहती है अपने आपको टिकट दिला पाने की । चाहे उसकी पकड़ अपने विधान सभा में चार आना पकड़ हो या आठ आना | जनपद सिद्धार्थनगर की शोहरतगढ़ विधान सभा 302 की सीट को लेकर समाजवादी खेमे में हलचल बहुत बढ़ गई है । दिसंबर के सुरुवाती माह तक शोहरतगढ़ की सीट को लेकर एक तरह से समाजवादी पार्टी के नेताओं में संतोष की भावना एक पार्टी के तौर पर एक विचार की , भाई चारगी की  भावना बन चुकी थी |

इस विधानसभा सीट को लेकर नवम्बर तक आधा दर्जन प्रत्यशी स पा खेमे से दिखते थे लेकिन दिसंबर आते आते सिर्फ दो युवा नेता और पूर्व राज्य सभा सांसद अलोक तिवारी ही फ्रंट पर बचे थे जिनके बीच शोहरतगढ़ सीट पर अपना करने की चाहत थी इसके पीछे उनका राजनीतिक बैकग्राउंड उनके अपने अपने जनाधार थे और बाद में इन तीनों युवा नेताओं में से एक नेता की सूझ बूझ की भावना के चलते मामला काफी हद तक सलट गया था ।

एक विश्वास और पार्टी की स्थिरता और मजबूती के लिए जमील सिद्दीकी ने जनसंपर्क के दौरान यह कहना अपील करना कि प्रत्याशी कोई भी हो वोट साईकिल को ही दें  प्रेस और विधानसभा में यह संदेश  खुले तौर पर जनता के बीच पहुंचाते हुवे ज़मील ने कहा कि हम समाजवादी पार्टी के सिपाही हैं हम समाजवाद की नीतियों को जनता तक पहुँचाने का काम कर रहे हैं । हम एक शानदार मुख्यमंत्री के तौर पर अखिलेश यादव को देखना चाहते हैं |

शोहरतगढ़ विधानसभा सीट से टिकट किसी को भी मिले जनता साइकिल निशान पर मोहर लगाकर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को जिताये। जमील सिद्दीकी के इस बयान से शोहरतगढ़ विधानसभा सीट पर टिकट को लेकर जो अनिश्चित्ता थी वह काफी हद तक दूर हो गई थी । जिसकी सराहना पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने जमील सिद्दीकी की लखनऊ में मुलाकात के दौरान करी थी इस बात की चरचा समाजवादी पार्टी में एक मिसाल बन गयी।

 अमर सिंह द्वारा समाजवादी पार्टी से टिकट मांगे जाने से सियासी हलचल बढ़ा – उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव 2017 में चौधरी अमर सिंह शोहरतगढ़ विधान सभा 302 से मौजूदा विधायक है वे लगभग 62000 मत पाकर विजयी रहे |दूसरे नंबर पर  नौगढ़ नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन जमील सिद्दीकी दूसरे नंबर पर और उग्रसेन सिंह तीसरे पायदान पर रहे।

चौधरी अमर सिंह अपने बेबाक अंदाज और तेजतर्रार नेता के रूप में विधानसभा में जाने जाते हैं उनकी अपनी एक अलग सोच है कार्य करने की अलग शैली है भारतीय जनता पार्टी के साथ उनकी पार्टी अपना दल का गठबंधन होने के बावजूद जो बातें नियम कानून जनता को नुकसान पहुँचाने वाले थे उनपर वह बोलते जरूर थे जो पार्टी और गठबंधन दोनो को चुभते थे उनके स्वतंत्र विचारों से पार्टी में उनको लेकर विरोध हो गया ।

वर्तमान विधायक अमर सिंह का टिकट लाना मजबूरी

अब 2002 के विधानसभा चुनाव में उन्हें एक बार दोबारा जीत दर्ज करने के लिए टिकट समाजवादी पार्टी से चाहिये दो महीने पहले तक उनके पास कई विकल्प मौजूद थे लेकिन उनकी अपनी निजी सोच और प्रदेश में समाजवादी पार्टी की लहर ने उन्हें समाजवादी पार्टी से टिकट लेने की अपनी लॉबिंग करना सुरु कर दिया है ।

वर्तमान विधायक चौधरी अमर सिंह द्वारा समाजवादी पार्टी से शोहरतगढ़ विधान सभा सीट से टिकट मांगे जाने से समाजवादी पार्टी में कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है | शोहरतगढ़ विधान सभा सीट से टिकट को लेकर दो प्रबल दावेदारों उग्रसेन सिंह और जमील सिद्दीकी , अलोक तिवारी पहले से ही विधानसभा में अपनी जबरदस्त मौजूदगी जनता के बीच दर्ज कर चुके हैं ऐसे में ये नेता किसी बाहरी पार्टी के उम्मीदवार को समाजवादी पार्टी से टिकट दिए जाने को लेकर विरोध कर रहे हैं विरोध के कारण भी बहुत हद तक स्पष्ट हैं तीनों ही नेताओं का अपना बैकग्राउंड है जिसके बल पर वह शोहरतगढ़ विधानसभा सीट पर बाहरी प्रत्याशी नहीं चाहते ।

प्रदेश मुख्यालय समाजवादी पार्टी बना अखाड़ा – प्रदेश में चुनाव आचार संहिता का एलान हो चुका है विधान सभा में 3 मार्च को वोटिंग होनी है ऐसे में शोहरतगढ़ विधानसभा सीट से जल्दी ही टिकट प्राप्त करना और भी जरूरी हो गया है समय बहुत कम है जानकार बताते हैं कि तीनों ही उम्मीदवार पिछले 10 दिनों से लखनऊ में जमे हुवे हैं और अपनी अपनी स्थित मजबूत करने में लगे हुवे हैं।

ओमप्रकाश राजभर की पार्टी भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी की तिकड़ी2022 के विधान सभा चुनाव में भा स स पा समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में है राजभर के कार्यकर्ता पिछले तीन महीने से पूरे विधान सभा क्षेत्र में सक्रिय हैं पार्टी के बड़े नेताओं का आना जाना लगा हुवा है ऐसे में राजनितिक हलकों के जानकारों का मानना है कि यह सीट सहमति के आधार पर राजभर के खाते में भी जा सकती है | यदि ऐसा होता है तो ………  

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