कर्पूरी ठाकुर दो बार मुख्यमंत्री रहे , लेकिन अपना एक ढंग का घर तक नहीं बनवा पाए , जननायक कर्पूरी ठाकुर के 98 वी जयंती पर विशेष
मो अरशद खान
सिद्धार्थ नगर – जिले के नौगढ में खजुरिया रोड पर राम किशुन वर्मा के दुकान पर कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनायी गयी जिसकी अध्यक्षता कर रहें घनश्याम कुमार शर्मा ने कहा आज के राष्ट्र गौरव, महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, प्रखर शिक्षाविद एवं समाजवादी चिंतक, नाई कुल गौरव महामनीषी महाप्राण श्रद्धेय जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की पावन जन्म जयंती के शुभ अवसर पर हम सभी उन्हें आदर और श्रद्धा के साथ कोटि-कोटि नमन वंदन करते हैं।
अपना घर तक नहीं बनवा पाए कर्पूरी
कर्पूरी ठाकुर दो बार मुख्यमंत्री रहे, लेकिन अपना एक ढंग का घर तक नहीं बनवा पाए थे. एक बार प्रधानमंत्री रहते चौधरी चरण सिंह उनके घर गए तो दरवाजा इतना छोटा था कि उन्हें सिर में चोट लग गई. वेस्ट यूपी वाली खांटी शैली में उन्होंने कहा, “कर्पूरी, इसको जरा ऊंचा करवाओ.” कर्पूरी ने कहा, “जब तक बिहार के गरीबों का घर नहीं बन जाता, मेरा घर बन जाने से क्या होगा?”
70 के दशक में जब पटना में विधायकों और पूर्व विधायकों को निजी आवास के लिए सरकार सस्ती दर पर जमीन दे रही थी, तो विधायकों के कहने पर भी कर्पूरी ठाकुर ने साफ मना कर दिया था. एक विधायक ने कहा- जमीन ले लीजिए. आप नहीं रहिएगा तो आपका बच्चा लोग ही रहेगा! कर्पूरी ठाकुर ने कहा कि सब अपने गांव में रहेगा.
उनके निधन के बाद हेमवंती नंदन बहुगुणा जब उनके गांव गए, तो उनकी पुश्तैनी झोपड़ी देख कर रो पड़े थे. उन्हें आश्चर्य हुआ कि 1952 से लगातार विधायक रहे स्वतंत्रता सेनानी कर्पूरी ठाकुर दो बार मुख्यमंत्री बनें, लेकिन अपने लिए उन्होंने कहीं एक मकान तक नहीं बनवाया.
सादगी की प्रतिमूर्ति कर्पूरी जैसा कोई जननायक न होगा
सादगी की प्रतिमूर्ति कर्परी ठाकुर का 17 फरवरी 1988 को असामयिक निधन हो गया था. पूर्व सीएम के निधन के बाद उनके राजनीतिक शिष्य लालू प्रसाद अपने साथी शरद यादव की मदद से उनके उत्तराधिकारी बने. हालांकि सिद्धांतों के मामले में जमीन-आसमान का अंतर दुनिया ने देखा है |