शोहरतगढ़ – संतान की लंबी आयु के लिए रखा महिलाओं ने रखा हलछठ व्रत, हलछठ व्रत के दौरान लोगों ने बैंड बाजा के साथ निकाला जुलूस

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नगर पंचायत शोहरतगढ़़ के गड़ाकुल में मंगलवार सुबह हलछठ व्रत के दौरान लोगों ने बैंड बाजा के साथ जुलूस निकाला। इस दौरान संतान की लंबी आयु के लिए महिलाओं ने हलछठ व्रत रखा।

ज्ञातव्य हो कि हलछठ व्रत भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम  के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत में हल से जोता गया कुछ भी नहीं खाते हैं। हिंदू धर्म में हर साल भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हलषष्ठी या हरछठ व्रत रखा जाता है।

इस साल उदयातिथि के अनुसार, हलषष्ठी व्रत 5 सितम्बर 2023, मंगलवार को रखा जाएगा। इसे ललई छठ, हलछठ, पिन्नी छठ, खमर छठ या ललही छठ के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हलछठ व्रत संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है।

कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से संतान को संकटों से मुक्ति मिलती है। यह पर्व भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, बलराम जी शेषनाग के अवतार थे। वह गदायुद्ध में विशेष प्रवीण थे। दुर्योधन इनका ही शिष्य था।

इस दिन हल पूजन का विशेष महत्व है। इस व्रत में हल से जोता गया कुछ भी नहीं खाया जाता है। व्रती महिलाएं भैंस के दूध, दही या घी का इस्तेमाल करती हैं। इस व्रत में महिलाएं प्रति पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिट्टी के बर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरती हैं।

इस दिन महिलाएं महुआ पेड़ की डाली का दातून, स्नान कर व्रत रखती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं कोई अनाज नहीं खाती हैं। सामने एक चौकी या पाटे पर गौरी-गणेश, कलश रखकर हलषष्ठी देवी की मूर्ति की पूजा करते हैं।

इस पूजन की सामग्री में पचहर चांउर (बिना हल जुते हुए जमीन से उगा हुआ धान का चावल), महुआ के पत्ते, धान की लाई, भैंस का दूध-दही व घी आदि रखते हैं। बच्चों के खिलौने जैसे-भौरा, बाटी आदि भी रखा जाता है।

आपको बतातें चलें कि षष्ठी तिथि 04 सितम्बर को शाम 04 बजकर 41 मिनट से प्रारम्भ होगी और 05 सितम्बर को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। वहीं हलछठ व्रत के दौरान गड़ाकुल शिवरतन कन्नौजिया की अगुवाई में महिलाएं बैंड बाजे के साथ गड़ाकुल होते हुए रेलवे क्रासिंग छतहरी तक पहुंची और पूजा अर्चना की।

इस दौरान सभासद सरोज कन्नौजिया, संगीता देवी, नैनशी, सीमा देवी, रीना देवी, माया देवी, शान्ति देवी, नीलम देवी, पूनम, कलावती देवी, सोनमणी, कैलाशी देवी एवं राधा देवी आदि महिलाएं मौजूद रहीं।

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