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देवेंद्र श्रीवास्तव
उसका बाजार सिद्धार्थनगर।जिला मुख्यालय के प्रसिद्ध चिकित्सक और चर्मरोग विशेषज्ञ डॉ अरुण द्विवेदी ने बताया कि उमस भरी गर्मी में पसीना होने पर पूरे शरीर मे चिपचिपाहट हो जाती है। खुजली होने लगती है। ज्यादा देर तक रहने पर दाने , खुजली और चमड़ी में संक्रमण समस्या हो जाती है।
इससे बचाव लिए ढीले ढाले सूती कपड़े का प्रयोग करना चाहिए। ज्यादा पसीना होने पर स्नान स्नान कर लेना चाहिए। इससे गर्मी और उमस से होने वाले चर्म रोगों से बचाव होगा।डॉo द्विवेदी ने बताया कि चमड़ी से सम्बंधित असाध्य रोगों का भी आयुर्वेद पद्धति में बेहद कारगर उपचार उपलब्ध है।
उन्होंने बताया कि कील ,मुंहासे,झाइयाँ,सफ़ेद दाग,एक्जिमा, अपरस,अनचाहे मस्से ,तिल का सौ प्रतिशत शर्तिया इलाज आयुर्वेद से संभव है।बशर्ते विश्वास और धैर्य के साथ समय देकर इलाज कराया जाये।उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति बीमारी से बचाव और उसको जड़ से खत्म करने में बेहद असरदार है।
इन दिनों उमस भरी गर्मी से आम जनजीवन बेहाल है। बारिस के बाद धूप लोगों को परेशान कर रही है। सूर्य की किरणों के निकलते ही शरीर का झुलसना शुरू हो जा रहा है। बुधवार को भी मौसम काफी उमस भरा रहा। धूप की तपिश के बीच धीरे-धीरे बढ़ रही उमस भरी गर्मी लोगों को बेहाल कर दी है। लोगों द्वारा उमस व चिपचिपाहट भरी गर्मी से बचने के लिए तमाम प्रकार के जुगत लगाए जा रहे हैं। लोग कूलर, एसी, पंखा का सहारा ले रहे हैं। इस बीच बिजली की आंखमिचौनी भी लोगों की परेशानी बढ़ा रही है। उमस भरी गर्मी के कारण लोग पसीने से तर-बतर हो रहे हैं। गर्मी के मौसम में स्नान करना और बराबर त्वचा की साफ सफाई का ध्यान रखना इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है।अपने डेढ़ दशक वर्ष के अनुभव को साझा करते हुए डॉ अरुण द्विवेदी ने बताया कि अब तक तिल ,मस्से और झाइयाँ,कील मुंहासे से सम्बंधित हजारों मरीजो को निजात दिला चुके हैं।चर्म रोगों पर अच्छा खासा पकड़ रखने वाले डॉ द्विवेदी चमड़ी को लगने वाले सभी बीमारियों का शर्तिया इलाज के लिए जिले में ख्यातिलब्ध हैं।
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