स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल : अस्पताल में जरूरी दवाएं नहीं बाहर से दवा खरीदने को विवश हैं मरीज

अरसद खान
सिद्धार्थनगर। सामान्य इलाज के लिए मरीजों को दवाएं नही मिल पा रही हैं, तो गम्भीर बीमारी का इलाज कैसे सम्भव होगा। यह हाल है जिला अस्पताल का जहाँ रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं, लेकिन दवा के नाम पर बाहर का रुख करना पड़ रहा है।

हालात यह है कि सामान्य बीमारी दर्द, बुखार, खुजली, खांसी तक की दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। दवा उपलब्धता को लेकर जिला अस्पताल के जिम्मेदार लिखा पढ़ी तक सीमित हैं, मग़र सभी मरीजों का इलाज उपलब्ध दवाओं में कर कोरम पूरा किया जा रहा है।

हालत ये है कि जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अच्छी नहीं है।अस्पताल के आंकड़ों पर गौर करें तो मौसम बदलने के साथ सर्दी, जुकाम, निमोनिया जैसी संक्रामक बीमारियां बढ़ी हैं। लेकिन इन मर्ज की दवाएं जिला अस्पताल में नहीं हैं।

मौसमी बीमारियों की दवाओं का टोटा है। इलाज के लिए आने वाले मरीज डॉक्टर को तो दिखा ले रहे हैं, लेकिन उन्हें जरूरी दवाएं मिल नहीं पा रही हैं। इसके लिए गरीब मरीजों को रुपये खर्च करने पड़ रहे है। इलाज के लिए चिल्हिया से आई प्रमिला देवी ने बताया कि बेटे को कोल्ड डायरिया है।

दवा लिखी गई थी, लेकिन जब काउंटर पर गई तो बताया गया कि दवा नहीं है। मजबूरन बाहर से लेना पड़ा। बर्डपुर से आई सबीना ख़ातून ने बताया कि बेटा कई दिनों से बीमार है। डॉक्टर ने कुछ दवाएं लिखीं, लेकिन अस्पताल में नहीं मिलीं। मजबूरी में बाहर से दवा लेनी पड़ रही।

यह कहानी केवल दो मरीजों की नहीं है। सैकड़ों मरीज इस दर्द से पीड़ित हैं। लेकिन वह मजबूर है करें तो क्या करें। सीएमएस डॉ. नीना वर्मा का वही रटा रटाया जवाब कि दवाओं के लिए पत्राचार किया गया है। डिमांड की जा रही है, जो दवाएं मौजूद हैं, उन्हें मरीजों में वितरण किया जा रहा है

मरीजों की संख्या में हो रही बढोत्तरी
जिला अस्पताल के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां प्रतिदिन 1500 नए मरीजों का पंजीकरण होता है, जो अस्पताल में अपनी बीमारी दिखाने और दवा लेने के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं, 1000 हजार पर्चा पुराना भी पहुंचता है।

मगर अस्पताल में दवा वितरण कक्ष में हर पांच मरीज में से केवल दो-तीन मरीजों को ही दवाएं मिल पा रही हैं। जरूरी दवाओं में एंटीबायोटिक दवा में लगभग सभी को एंटीबायोटिक में डाकसीसायकलिन, विटामिन की गोली, और ओमपप्राजोल दे रहे हैं, मोक्सी, इंथ्रोमेडीसिन सहित अन्य दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।

इसके अलावा खासी की सिरप एक्सपोक्टेरेंट, कैल्शियम व डॉक्सी, डाइक्लो, नाम की दवाएं नहीं है।

पंजीकरण के लिए लग रही लम्बी कतार
जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहले रजिस्ट्रेशन किया जाता है, जिसके लिये मरीजो की लम्बी कतार लगी रहती है, लगभग हजार से पन्द्रह सौ तक प्रति दिन रजिस्ट्रेशन होता है, वही लगभग एक हजार पुराने पर्चे के साथ मरीज जिला अस्पताल पहुँच रहे हैं।

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