वक्फ अमेंडमेंट बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यूपी से पहली याचिका दाखिल, समाजवादी नेता हसीब खान ने खोला मोर्चा

निजाम अंसारी

सिद्धार्थनगर – केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में संसद में पारित किए गए वक्फ अमेंडमेंट बिल 2025 के खिलाफ देशभर में विरोध की लहर तेज होती जा रही है। अब तक सुप्रीम कोर्ट में इस विवादित बिल के खिलाफ 73 से अधिक याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश से इस मामले में पहली याचिका समाजवादी पार्टी के नेता और उतरौला विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी हसीब खान द्वारा दायर की गई है, जिससे राज्य की सियासत में भी हलचल मच गई है।

संविधान विरोधी करार
हसीब खान की याचिका सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट भास्कर आदित्य और एडवोकेट नितिन मिश्रा के माध्यम से दाखिल की गई है। याचिका में वक्फ संशोधन बिल को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 30 के तहत मिलने वाले मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया गया है।

“यह बिल संविधान विरोधी है” – हसीब खान
मीडिया से बात करते हुए हसीब खान ने दो टूक कहा, “यह बिल न केवल मुस्लिम वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण की कोशिश है, बल्कि यह देश के हर धार्मिक समुदाय के ट्रस्टों की स्वायत्तता को खत्म करने का रास्ता खोलता है। हमें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है और उम्मीद है कि यह संविधान की रक्षा करेगा।”

सिर्फ मुस्लिम नहीं, सभी धार्मिक समुदायों की चिंता
इस बिल के खिलाफ आवाज उठाने वालों में मुस्लिम संगठनों के साथ-साथ सिख, बौद्ध और ईसाई समुदायों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। इनका कहना है कि वक्फ अमेंडमेंट बिल लागू होने पर गुरुद्वारे, चर्च और अन्य धार्मिक संस्थाएं भी सरकारी हस्तक्षेप की चपेट में आ सकती हैं।

क्या है वक्फ अमेंडमेंट बिल?
बिल में वक्फ बोर्डों की शक्तियों और धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़े प्रावधानों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। विरोध करने वालों का आरोप है कि सरकार इस कानून के जरिए धार्मिक स्वतंत्रता और संस्थागत स्वायत्तता पर सीधा हमला कर रही है।

जल्द होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख जल्द घोषित होने की संभावना है। देशभर की निगाहें अब शीर्ष अदालत पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि यह संशोधन संविधान सम्मत है या नहीं।

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