राजकीय बौद्ध संग्रहालय द्वारा प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
जे पी गुप्ता
सिद्धार्थनगर। संग्रहालय अतीत का संरक्षक भविष्य का शिक्षक एवं ज्ञान का वातायन है। संग्रहालय का मूल उद्देश्य जन सामान्य को मनोरंजन पूर्ण ढंग से शिक्षित करना एवं अपने धरोहर के संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। उक्त बातें राजकीय बौद्ध संग्रहालय के संग्रहालय अध्यक्ष डॉ. तृप्ति रॉय ने कही। उन्होंने कहा कि स्वयं का अपने अतीत से जोड़कर ही हम वर्तमान को गौरवमई बना सकते हैं इन्हीं उद्देश्यों को पूर्ति के लिए समाज के हर वर्ग को जोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं यथा चित्रकला, निबंध, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है।
जिससे नौनिहालों के भीतर छिपे प्रतिभा को उजागर कर उन्हें और ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। बच्चे समाज का आईना है, इनमें छिपी प्रतिभा को निखारने एवं अभीष्ट लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रोत्साहित करना भी हमारा उद्देश्य है, इसी कड़ी में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय सप्ताह के अवसर पर राजकीय बौद्ध संग्रहालय पिपरहवा सिद्धार्थनगर द्वारा स्थानीय विद्यालय के सीनियर एवं जूनियर वर्ग के छात्र छात्राओं के मध्य चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन के पश्चात संग्रहालय भ्रमण कराया गया।
प्रतियोगिता विद्यालय के कक्षा 8 से 12 तक के छात्र छात्र-छात्राओं के मध्य आयोजित की किया गया। प्रतियोगिता में कुल 64 छात्र छात्राओं ने प्रतिभागिता किया प्रतिभागियों द्वारा किसी ऐतिहासिक स्थल जैसे ताजमहल, इमामबाड़ा, लाल किला किसी एक पर चित्र बनाए गए। समस्त प्रतिभागियों ने मनोयोग पूर्वक अपने कला कौशल का परिचय देते हुए निर्धारित विषय पर सुंदर चित्र बनाएं, रेखांकन रंग संयोजन एवं विषय वस्तु को दृष्टिगत रखते हुए निर्णायक मंडल द्वारा स्तरीय चित्रों का चयन किया गया |
उक्त प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार शिल्पा कसौधान, द्वितीय पुरस्कार मंजू कनौजिया, तृतीय पुरस्कार रूपेश वर्मा, सांत्वना पुरस्कार राधना चौधरी, संजय पासवान, शहजाद, सरिता गौतम, राज, वीरेंद्र गौतम, सुमन विश्वकर्मा, राज कसौधन आदि 11 छात्रों को पुरस्कार प्रदान किया गया मुख्य अतिथि संत कुमार चौधरी द्वारा विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कार तथा प्रमाण पत्र प्रदान किए गये।
मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में समस्त प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि सभी बच्चे प्रतिभावान होते हैं। किंतु आवश्यकता है उनके प्रतिभा को सवारने निखारने और उजागर करने की। इसी कड़ी में संग्रहालय का यह एक सार्थक प्रयास है आज प्रतियोगिताओं के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा बच्चे भविष्य में रोजगार के अच्छे अवसर प्राप्त कर सकते हैं एवं देश ही नहीं बल्कि विश्व के महान चित्रकार बन सकते हैं।
संग्रहालय द्वारा किए गए प्रयास की सराहना करते हुए उन्होंने अपनी शुभकामना व्यक्त की। संग्रहालय के संग्रहालयध्यक्ष डॉ0 तृप्ति राय ने कहा कि कला ही काल का निर्धारण एवं मार्गदर्शन करता है भारतीय कला एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार एवं बच्चों को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक करने हेतु संग्रहालय द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसका उद्देश्य यह भी है कि बच्चों में छिपी बौद्धिक क्षमता को निहारना एवं उन्हें प्रोत्साहित कर उनकी कमियों को दूर करने का अवसर प्रदान करना है।
इस अवसर पर वीथिका सहायक रामानंद प्रजापति, सुनील चौधरी प्रधानाचार्य प्रमोद, जितेंद्र पांडे, धर्मेंद्र चौधरी, योगेंद्र शुक्ला, विनय सैनी, कैलाश साहनी, प्रदीप चौधरी, उपेंद्र चौधरी, मोहम्मद आसिफ, अब्दुल वाहिद,ओम प्रकाश पांडे, हिमांशु प्रजापति, रामसकल यादव आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।