पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के जयंती पर लगी छाया चित्र प्रदर्शनी
kapilvastupost reporter
सिद्धार्थनगर। राजकीय बौद्ध संग्रहालय पिपरहवा सिद्धार्थनगर द्वारा रविवार को भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जयंती के अवसर पर पुष्पांजलि और उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। छाया चित्र प्रधाशनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिला महामंत्री डॉ जय सिंह यादव द्वारा फीता काट कर एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया। ततपश्चात संग्रहालय अध्यक्ष डॉ तृप्ति रॉय द्वारा मुख्य अतिथि को पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। इस अवसर पर छाया चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन मुख्य अतिथि एव विद्यालयो से आये हुए बच्चों एवं गुरुजनों को संग्रहालय अध्यक्ष द्वारा कराकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के जीवन एव व्यक्तित्व से सबको परिचय कराया गया।
जानकारी देते हुए विद्यार्थियों को संग्रहलयध्यक्ष ने बताया कि
अटल जी का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के बटेश्वर में हुआ था।अटल जी की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज, वर्तमान में लक्ष्मीबाई कॉलेज से हुई थी। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। अटल जी एमए, एलएलबी करने के बाद डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढा ही साथ ही साथ कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादन का कार्य भी कुशलतापूर्वक करते रहे।
लोकतंत्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेई जी ने सन 1996 में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली 19 अप्रैल 1998 को पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार ने 5 वर्षों में देश के अंदर प्रगति के अनेक आयाम स्थापित किए।
सर्वतोमुखी विकास के लिए किए अपने दिए गए योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिए 2015 में उन्हें भारत रत्न दिया गया। दिनांक 16 अगस्त 2018 को इस संसार से अपनी कीर्ति को अमरत्व प्रदान कर इन्होंने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया।
संग्रहालय के संग्रहालयाध्यक्ष डॉ तृप्ति राय ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी ने अपने जीवन काल में भारत को उच्च शिखर पर पहुंचाया। उनके कार्यकाल में हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए अभूतपूर्व विजय हासिल की। इसके अतिरिक्त पोखरण परमाणु परीक्षण के द्वारा उन्होंने भारत को विश्व पटल पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।वो न केवल एक महान राजनेता थे बल्कि एक प्रबुद्ध साहित्यकार भी थे ।उनके ओजस्वी भाषण एवं प्रेरक कविताएं स्मरणीय है। प्रदर्शनी में छात्र-छात्राओं एवं गुरुजनों सहित लगभग 70 लोगों की उपस्थिति रही।प्रदर्शनी के अवसर पर जितेंद्र पांडेय, रामानन्द प्रजापति, प्रमोद चौधरी, धीरेंद्र चौधरी, सुनील चौधरी, कैलाश साहनी, वीरेंद्र कसौधन, योगेंद्र शुक्ला, कमरुद्दीन, नसीम, ममता श्रीवास्तव, नीलम यादव, साधना चौधरी,संगीता यादव, मीना पाठक, आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।