वालीबाल प्रतियोगिता के आखिरी दिन अमरदोभा और मुजहना के बीच कांटे की टक्कर में अमरडोभा ने मारी बाजी ट्रॉफी के साथ 15 हजार का इनाम भी

गांव की गलियों से निकलती है प्रतिभा – जमील सिद्दीकी

nizam ansari

बढ़नी से सटे गांव मुजहना में तीन दिनों तक खेले गए बोलीवाल प्रतियोगिता में सोमवार को आखिरी दिन खेले गए फाइनल मैच में अमरडोभा ने शानदार जीत दर्ज की और फाइनल अपने नाम कर लिया । जबकि मुजाहना की टीम के खिलाड़ियों का प्रदर्शन बहुत शानदार था बावजूद इसके बाजी अमरडोभा की टीम ने मार ली।

आखिरी दिन खेले गए 5 सेटो की खेल में तीन सेटों के खेल तक दोनो टीमें बराबरी पर रही। चौथे सेट से अमर डोभा की टीम ने बढ़त बनाते हुवे पांचवें सेट में मैच जीत लिया । अमरडोभा की टीम ने 3 – 0 से मुकाबला जीत लिया। अमर डोभा और मुजहना के बीच कांटे की टक्कर बीच हजारों दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं और खिलाड़ियों का उत्साह वर्धन किया।

समापन के दौरान मुख्यातिथि पूर्व नगरपालिका चेयरमैन जमील सिद्दीकी ने विजेता टीम को ट्रॉफी दिया इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रतिभाएं गांव की गलियों से ही निकलती है और देश प्रदेश अपना और देश का मान बढ़ाती हैं बॉलीवॉल बहुत ही शानदार खेल है ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए |

खेल से एक पॉजिटिविटी आती है खिलाड़ी में टीम भावना का विकास होता है खेल में हर मजहब हर धर्म और जाति के खिलाड़ी होने से उनके बीच एक सामंजस्य और एकता बलवती होती है जिससे गांव की एकता और प्रेम भावना मजबूत होती है खेल एक दूसरे को जोड़ने का काम करती है ।

दर्शकों में भी गलत प्वाइंट और सही प्वाइंट पर बोलने को बाध्य होता है और ऐसे ही सभी लोग जब गलत को गलत और सही को सही बोलने लगते हैं तो समाज और देश मजबूत होता है।

समापन समारोह के दौरान बॉलीवॉल खेल के प्रेमी रहे अलाउद्दीन उर्फ अन्नू भैय्या मौजूदा योगी युवा ब्रिगेड के प्रांतीय अध्यक्ष अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने खिलाड़ियों के प्रदर्शन को सराहा उन्होंने कहा कि आज के इस भाग दौड़ भरी जिंदगी ने लोगों को मानसिक तौर पर बीमार कर रखा है बच्चों और नौजवानों को खेल के लिए समय निकालना चाहिए जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके। छात्र नेता खकुल्लाह खान sahit any logon ने भी sabodhit kiya|

इस दौरान शमा स्पोर्टिंग क्लब के अध्यक्ष सफीउद्दीन ,उपाध्यक्ष असगर अली , कॉमेंटेटर जमीरुल हक , रेफरी अलीम खान (स्टेट रेफरी ) मुन्नू अल्वी , मुजाहिद रजा, हकीम खान , शंभू गुप्ता ,,आफाक अहमद सानू , डा इजहरुल हक डा अंसार ,सुनील अग्रहिरी आदि मौजूद रहे।

नब्बे के दशक में जिले भर के गांव चौराहों पर बॉलीवाल का नेट लगा दिख ही जाता था उस समय भी क्रिकेट के दीवाने ज्यादा ही होते थे उसके बाद भी हर गांव कूचे में बॉलीवॉल का खेल रोज शाम को होता था पर अब ऐसा नहीं यह शानदार खेल पिछले दो दशकों से सिमट कर बढ़नी इटवा डुमरियागंज क्षेत्र में ही रह गया है बॉलीवॉल के चहेते लोगों ने इस खेल के  आयोजन से इसको बचाने की कोशिश कर रहे हैं ऐसे आयोजनों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है ।

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