सांसद जगदम्बिका पाल ने दीपावली पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दीपों का यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। उन्होंने समाज में प्रेम, सद्भाव और समृद्धि की कामना की और अपील की कि लोग प्रदूषण रहित और सुरक्षित दीपावली मनाएं।
“दीपावली का पर्व हमें अच्छाई, प्रेम और एकता का संदेश देता है। यह अवसर हर दिल में प्रकाश और उम्मीद की ज्योति जलाने का है। मेरी शुभकामनाएं हैं कि हर घर समृद्धि और खुशियों से भरपूर हो। आइए, इस दीपावली हम सब मिलकर समाज में प्रेम और सौहार्द की भावना को मजबूत करें।” – विधायक विनय वर्मा
“दीपावली का पर्व प्रेम, एकता और सांस्कृतिक सौहार्द का प्रतीक है। यह त्यौहार हमें अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। सभी नागरिकों से मेरा अनुरोध है कि इस पर्व को पर्यावरण का ख्याल रखते हुए मनाएं और मिलजुल कर खुशियाँ बाँटें। दीपावली सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए, यही मेरी शुभकामना है।” – ज़मील सिद्दीकी, पूर्व नगर पालिका परिषद
“दीपावली प्रकाश, प्रेम और सद्भावना का पर्व है। यह हमें अंधकार पर प्रकाश की विजय का संदेश देता है और जीवन में सकारात्मकता लाने का संकल्प दिलाता है। आइए, इस दीपावली पर हम सभी आपसी मेल-जोल बढ़ाएं और समाज में खुशियों का दीप जलाएं। पर्यावरण की रक्षा करते हुए इस पावन पर्व को मनाएं।” — डॉ. चंद्रेश उपाध्याय
“दीपावली का पर्व हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का संदेश देता है। यह त्योहार समाज में प्रेम, भाईचारे और सद्भावना का संचार करता है। हम सबको चाहिए कि इस पावन अवसर पर मिल-जुलकर खुशियाँ बाँटें और पर्यावरण का भी ध्यान रखें। सच्चे अर्थों में दीपावली तभी सार्थक है जब हर दिल में उजाला हो।” – डॉ. विमल दिवेदी
भारत का हृदय जब दीपावली पर रोशनी से नहाता है, तो हर कोना मानो प्रेम और उत्सव के रंगों से सज उठता है। यह सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं, और भाईचारे का प्रतीक है। अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई का विजयगान और सभी के हृदयों में एक नई उमंग और उम्मीद का संचार, यही है दीपावली का संदेश।
दीपावली की पौराणिक कथा
दीपावली के पर्व का सबसे प्रमुख प्रसंग भगवान श्रीराम का अयोध्या लौटना है। रावण का वध कर, चौदह वर्ष का वनवास समाप्त कर जब श्रीराम अयोध्या लौटे, तो पूरे नगर में हर्ष की लहर दौड़ गई। नगरवासियों ने दीप जलाकर, पुष्प बिछाकर, उल्लास और स्वागत का जो दृश्य रचा, उसी परंपरा का निर्वाह आज तक होता आ रहा है। यह पर्व इस बात का प्रतीक है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो, सत्य और अच्छाई के आगे उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
पाँच दिन का उत्सव
दीपावली का पर्व सिर्फ एक दिन तक सीमित नहीं होता। इसे पाँच दिनों तक मनाया जाता है, और हर दिन का अपना अलग महत्व होता है:
धनतेरस: इस दिन लोग अपने घर में नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं, जिससे समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है।
नरक चतुर्दशी: इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन घरों की सफाई होती है, ताकि नकारात्मकता को बाहर किया जा सके।
लक्ष्मी पूजन: दीपावली का मुख्य दिन होता है, जब माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। सभी लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और माँ लक्ष्मी से समृद्धि और खुशियों का आशीर्वाद मांगते हैं।
गोवर्धन पूजा: इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और परिवार के साथ भोजन का आनंद लिया जाता है।
भाई दूज: इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं।
दीपावली का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमेंसामाजिक रूप से भी जोड़ती है। इस अवसर पर लोग अपने पुराने मतभेद भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं, मित्रों और रिश्तेदारों को मिठाई बांटते हैं। दीपावली पर दीयों की कतारें न केवल अंधेरे को दूर करती हैं, बल्कि दिलों के बीच के फासलों को भी कम कर देती हैं।
पर्यावरण और प्रदूषण की समस्या
हालांकि, समय के साथ दीपावली के जश्न में कुछ बदलाव आए हैं। पटाखों के अत्यधिक प्रयोग से पर्यावरण को नुकसान होता है। ऐसे में हमें यह याद रखना चाहिए कि दीपावली का असली मतलब प्रकाश और प्रेम फैलाना है, न कि प्रदूषण। कई लोग अब इको-फ्रेंडली दीये, फूलों से सजावट और पटाखों से परहेज़ कर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
दीपों का त्योहार और आज का समय
दीपावली हमें सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, आशा का दीप जलाए रखना चाहिए। यह पर्व याद दिलाता है कि जीवन के अंधकार में भी उजाले की किरण हमेशा मौजूद रहती है। हमें चाहिए कि हम इस अवसर का उपयोग आत्ममंथन और आत्म-सुधार के लिए करें और जीवन में नई सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने दीपावली के शुभ अवसर पर कहा ” आइए हम सब मिलकर प्रण लें कि अपने जीवन में, समाज में और इस दुनिया में प्रेम, विश्वास और सद्भाव का दीप जलाएंगे। हर किसी के चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास करेंगे और जरूरतमंदों की मदद कर उन्हें भी इस पर्व में शामिल करेंगे। जब हमारे चारों ओर खुशियों का दीपक जलेगा, तभी सच्चे अर्थों में दीपावली का पर्व सार्थक होगा।
शोहरतगढ़ कसबे के युवा समाज सेवी व चिकित्सक डॉ सरफ़राज़ अन्सारी ने कहा दीपावली सिर्फ दीपों का त्योहार नहीं है; यह जीवन में अच्छाई, प्रेम और सच्चाई के लिए एक नया संकल्प लेने का दिन है। दीप जलाने से हमें हर दिल में बसे अंधकार को दूर करने का संदेश मिलता है। आइए, इस बार हम दीपावली को एक नए दृष्टिकोण के साथ मनाएं और इस त्यौहार को दिलों को जोड़ने का पर्व बनाएं।