बाढ़ में सहायता न मिलने और फसल के मुआवजे की मांग को लेकर किसानों में विरोध
शोहरतगढ़ विधान सभा अंतर्गत बाढ़ में डूबे गाँव का किसी नेता या प्रशासन द्वारा राहत सामग्री नहीं बाँटे जाने से और बाढ़ के बाद हुई ख़राब फसल से दुखी हैं ग्रामीण
nizam ansari ground report
सिद्धार्थ नगर – जनपद में आयी बाढ़ ने हजारों परिवारों को विस्थापित होने पर मजबूर कर दिया | जन्पद्द में बाढ़ के कारण आवागमन बंद हो गया हर दुसरे दिन नदियों का तटबंध टूटने से प्रशासन को कभी इस ओर कभी उस तरफ दौड़ने पर मजबूर कर दिया |
सीमित संसाधन होने के कारण लोगो के राहत एवं बचाव कार्य प्रभावित हुवे बाढ़ प्रभावित व बाढ़ में डूबे लोगो तक स्थानीय नेता जनप्रतिनिधि सहित प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल पाने से ऐसे कई गाँव में प्रशसन का विरोध हो रहा है |
नद्वालिया क्षेत्र के समाज सेवी सय्यद अली भाई के कई बार आग्रह के बाद उनके गाँव में बाढ़ के तुरंत बाद रिपोर्टिंग के लिए जाना हुवा जहाँ रिपोर्टर की मुलाकात नद्वालिया गाँव के चमार तोलिया आबादी के दुक्खी काका से हवी उहोने गाँव का कोना कोना दिखाया और बताया की बाढ़ के दौरान और बाढ़ के तुरंत बाद गाँव के हालात क्या हैं |
रिपोर्टर को गाँव में देखते ही लोगों की भेद जमा होने लगी एक बाद एक हरकोई बाढ़ से पीड़ित दिखा | गाँव के दक्षिण में बाढ़ ने किस तरह गरीब हरिजन आबादी में झुग्गी झोपडी और एक मंजिल तक के पक्का मकानों में रहने वालों पर आफत बनकर टूटा लोगों को छतों पर रहने खाने पर मजबूर किया लोगों को अपनी दिन चर्या के कामों को निबटने में भारी दिक्कत हो रही थी |
उपर से बिजली विभाग की कृपा से 15 दिन तक गाँव में लाइट नहीं आयी लोगों के पास खाने पीने की चीजों के अलावा मोमबत्ती और माचिस भी नहीं थी खाने बनाने के सामान लेने के लिए भी कोई निकल नहीं पाया गाँव के साथ ही पूरे क्षेत्र में 10 फूट से जादा पानी भरी हुवा था आवागमन के लिए नाव भी नहीं उपलब्ध थी |
बाढ़ के बाद उनके तरफ की सडकें बह गयी हैं पता ही नहीं चलता की सड़क थी उनकी फसलें पानी में डूबी हुई है | ग्रामीणों ने बाताया की क्षेत्र में बाढ़ की त्रासदी सबसे ज्यादा किसानों को झेलनी पड़ी। सूखे से बचाकर तैयार की गई धान की फसल बाढ़ से बर्बाद हो गई। बर्बाद फसल देखकर किसानों की आंखों में आंसू भर आते हैं। किसानों ने डीएम से खराब हुई फसल का आंकलन कराकर मुआवजा दिलाने की मांग की है।
बाढ़ से प्रभावित गाँव नजर गढ़वा , रेकहट , खैरी शीतल प्रसाद, मटियार ,भुतहिया ,झुन्गाह्वा ,तिरछहवा ,बाला नगर ,महदेइय्य ,प्रतापपुर , कोमरी ,अमह्वा ,नद्वालिया, रामाँपुर , कोतियादीगर , नकाही ,बरैनिया ,लम्बुइय्या ,नैदहर भापसी ,भट मला सहित कई दर्जन गाँव में फसल पानी में डूब गयी है जिसको लेकर रामापुर के एक अध्यापक रशीद अहमद ने बताया कि खेत में लगी धान की फसल सड़ने लगी है ।
फसल देखकर किसानों की आंखों से आंसू निकल रहे हैं। किसानों के लिए भोजन और मवेशियों के लिए चारे का इंतजाम तक करना मुश्किल हो रहा है। त्यौहार की खुशियां दुखों में तब्दील हो गईं हैं। गाँव में कई झोपड़ियाँ बर्बाद हुई कईयों के दीवाल गिर गए और खपरैल का मकान भी बीच में टूटकर गिर गया है |
किसानों का कहना है कि इस बार पर्व मनाना तो दूर दो जून की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल लग रहा है।
प्रशासन की तरफ से उपलब्ध कराई जा रही राहत सामग्री किट ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। बैंक का कर्ज किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच रहा है। इन लोगों ने जिलाधिकारी से चैनल के माध्यम से बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा शीघ्र दिलवाने की मांग की है।