स्वामी विवेकानंद का जीवन दर्शन प्रत्येक भारतीय के लिए मूल्यवान है – कुल सचिव
जे पी गुप्ता
सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर में स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम बोलते हुए कुलसचिव राकेश कुमार ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का जीवन दर्शन प्रत्येक भारतीय के लिए मूल्यवान है। विशेष रुप से युवा पीढ़ी को अपना जीवन चरित्र निर्मित करने में स्वामी विवेकानंद का जीवन दर्शन प्रभावी रहा है।
उन्होंने संपूर्ण विश्व में सनातन परंपरा और हिंदू जीवन दर्शन को प्रतिस्थापित किया है। उप कुल सचिव दिन नाथ यादव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का संपूर्ण जीवन सामाजिक कुरीतियों और सामाजिक असमानता के विरुद्ध सामाजिक समरसता की स्थापना का रहा है। उन्होंने अपने चिंतन द्वारा एकता का जो अमर संदेश दिया है वह गरीबो पिछड़े और वंचित के उत्थान के लिए हमेशा अनुकरणीय रहेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो हरीश कुमार शर्मा ने कहा कि भारत की सनातन ज्ञान परंपरा बहुत ही संपन्न रही है। भारत दुनिया का अकेला देश है जहां इतने अधिक महापुरुष रहे हैं। महात्मा गौतम बुद्ध महावीर स्वामी आदि शंकराचार्य गुरु गोरखनाथ सहित स्वामी विवेकानंद जैसे संतो ने भारत की यशस्वी ज्ञान परंपरा को सामान्य जन तक पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी का स्पष्ट विचार था कि मानव सेवा सबसे बड़ा धर्म है। डॉ शारदेंदु त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारतीय धर्म दर्शन को जिस रूप में देश दुनिया के सामने प्रस्तुत किया, उससे भारत के इस महान धर्म दर्शन के प्रति दुनिया की हीन भावना से देखने की प्रवृत्ति में परिवर्तन हुआ।
स्वामी विवेकानंद ने मानव सेवा को एक मिशन के रूप में प्रारंभ करने का अनुकरणीय योगदान दिया है। रामकृष्ण मिशन के माध्यम से भी स्वामी विवेकानंद ने भारत माता की सेवा का अमृत व्रत लिया था जो आज भी जारी है। कार्यक्रम में डॉक्टर देव बक्श सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का आध्यात्मिक दर्शन वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है ।
इस अवसर पर विश्व विद्यालय के शिक्षक कर्मचारी उपस्थित रहे तथा कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रसारण भी विभिन्न कक्षाओं के लिए बनाए गए चैनलों पर डॉक्टर सत्येंद्र दुबे द्वारा किया गया।