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देवेन्द्र श्रीवास्तव
उसका बाजार सिद्धार्थनगर।आयुर्वेद उपचार की सबसे प्राचीन पद्धति है, जो आज भी बेहद कारगर और सफल इलाज की पद्धति है।भागदौड़ भरी बदलती जीवन शैली में व्यक्ति तत्काल इलाज के लिए दूसरी पद्धति को अपना रहा है लेकिन असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति सबसे कारगर है। इससे कोई भी रोग को धीरे-धीरे समूल खत्म करने की क्षमता है। खास बात यह है कि इसका कोई साइड इफैक्ट नहीं होता।उपरोक्त बातें सिद्धार्थ विश्विद्यालय,कपिलवस्तु के स्वास्थ्य परीक्षक और जनपद के सुप्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. अरुण द्विवेदी ने एक मुलाकात के दौरान कही।वह शुक्रवार को उसका कस्बा अन्तर्गत स्थित गौतम बुद्ध जागृति समिति कार्यालय पर पत्रकारों से। बात चीत कर रहे थे।उन्होंने कहा कि
चिकित्सा जगत की विभिन्न विधाओं ने बहुत उन्नति की, लेकिन आयुर्वेद आज भी कई असाध्य रोगों के सफल इलाज में उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कल था। आयुर्वेदिक दवाओं का भंडार हमारे बीच ही उपलब्ध होता है। हमें सिर्फ उसे पहचान कर विशेषज्ञ चिकित्सको के परामर्श से उनका प्रयोग करना है। अपने तकरीबन एक दशक के चिकित्सकीय सेवा काल में मरीजो के ऊपर असाध्य बीमारियों में आयुर्वेद के प्रयोग पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि अब तक सैकड़ो लाइलाज रोगियों को जो अपने जीवन में थक कर निराश हो चुके थे को आयुर्वेद पद्धति से उनकी बिमारियो से छुटकारा दिलाया है।
डॉ अरुण द्विवेदी में बताया कि आयुर्वेद लगभग सभी रोगों का सफल इलाज करने में सक्षम है।अपने निजी अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि दर्जनो गुप्त रोगी,चर्म रोगी अब तक उनके इलाज से अपना सुखी और स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।डॉ द्विवेदी ने बताया कि जिन बीमारी से लोग ऊब जाते हैं कई ऐसे रोगियों को उन्होंने असाध्य बीमारियों से निजात दिलायी है।इल्ला ,मस्सा,तिल, मुँहासे, अपरस,सफ़ेद दाग,गंजापन,एलर्जी ,अधेड़ी,गंजापन, बवाशीर, कुष्ठ रोग, नपुंसकता जैसी जटिल बीमारियों का सफल तरीके से कर के सैकड़ो लोगो को आयुर्वेद के माध्यम से स्वस्थ्य कर चुके हैं।उन्होंने बताया कि आयुर्वेद के पास कई असाध्य रोगों के उपचार की रामबाण औधधियाँ उप्लन्ध हैं ,बशर्ते उन्हें पहचान कर परामर्श चिकित्सको की देखरेख में ससमय प्रयोग करने की। भागदौड़ भरी जिदगी में इंसान कई मानसिक रोगों व तनाव का शिकार बन रहा है।डॉ द्विवेदी ने बात चीत के दौरान कहा कि शरीर में होने वाली बात, कफ और पित्त प्रकृति के रोगों के नियमन का बेजोड़ तरीका आयुर्वेद सिखाता है।शरीर में सभी प्रकार की व्याधियों पर नियंत्रण करने का सबसे आसान बिधि है कि इन्हें कुपित होने से बचाया जाए।उक्त तीनों प्रकार की व्याधियों से बचने हेतु नियमित आहार बिहार और योगासन नियमो के जरिये रोगमुक्त, सुखी और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
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