ऐ मेरे वतन के लोगों गाने पर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु रो पड़े

लता मंगेशकर के निधन पर दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित

निज़ाम अंसारी

सिद्धार्थ नगर – भारत की जानी मानी राष्ट्रीय गायिका स्वर कोकिला के नाम से मशहूर लता मंगेशकर का आज सुबह स्वर्गवास हो गया वह कोरोना संक्रमण के कारन पिछले एक माह से ब्रीच कैंडी  हॉस्पिटल में भारती थीं |

स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेश्कर दीदी का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। हमारे बचपन की यादों में लता दीदी और उनकी यादें जुड़ी हुई हैं। होश संभालते ही उनके गाने दिलो दिमाग मे छा गए थे । नब्बे के दशक में हम सब जब किशोर अवस्था मे थे लता दीदी के रोमांटिक और दर्द भरे गानों को सुनते थे  तब लगता था कि गाने में हम सभी की ही कहानी है।

लता दीदी ने 5 साल की उम्र से गाना गाना शुरू किया था और अपने 78 साल की कॅरियर में तकरीबन 25 हज़ार गाने गाए।तीन बार उन्हें नेशनल अवार्ड,दादा साहब फाल्के अवार्ड के अलावा भारत रत्न से भी नवाजा गया था।

वो आजीवन अविवाहित रहीं और हमेशा अपने परिवार की बेहतरी के लिए सोंचा।अब लता जी हमारे बीच नहीं है लेकिन वो हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगीं। वो अपने चाहने वालों के लिए  सदाबहार गानों की विरासत छोड़ गई है।उनके सदाबहार गानों  ने उन्हें दुनिया मे अमर कर दिया है।उनके गाए एक गाने से उन्हें श्रद्धांजलि!

“कल भी सूरज निकलेगा। कल भी पंछी गायेंगे। सब तुमको दिखाई देंगे। पर हम न नज़र आयेंगे….।

भूली बिसरी यादें –

बात साल 1943-44 के आसपास की है. कोल्हापुर में एक फ़िल्म की शूटिंग चल रही थी और इस वक़्त की मशहूर गायिका नूर जहाँ अपने गानों की रिकॉर्डिंग के लिए वहाँ आई थीं, उसी फ़िल्म में एक छोटी बच्ची भी रोल कर रही थी |

उस नन्ही बच्ची से नूर जहाँ ने गाने के लिए कहा बच्ची के गाने से ख़ुश होकर नूरजहाँ बोली कि बहुत अच्छा गाती हो, बस रियाज़ करती रहना, आगे जाओगी, रोज़ी रोटी के लिए फ़िल्मों में छोटे-मोटे रोल करने वाली ये बच्ची आगे चल कर सुरों की मलिका लता मंगेशकर बनीं |

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