विश्व क्षय रोग दिवस पर विशेष : जिले को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने की विशेष पहल रोजगार के भी खुलेंगे अवसर
टीबी रोग से मुक्त हुए 25 चैंपियन अब मरीजों को मोटिवेट करने में जुटे जिले को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने की विशेष पहल
जे पी गुप्ता
सिद्धार्थनगर।
टीबी बीमारी को हराया जा सकता है। इसके लिए जागरुकता व सतर्कता बेहद जरूरी है। जिले में टीबी को हराने के लिए 25 चैपियन चिन्हित किए गए हैं। उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया है। अब वह जिले को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने में अपना योगदान देंगे।
यह मरीजों व समुदाय से संवाद कर बताएंगे कि टीबी का मुकाबला बड़े ही आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए जागरुक रहना जरूरी है। टीबी को हराकर चैंपियन बने इन चैंपियन के लिए विभाग ने रोजगार के द्वार भी खोल दिए हैं।
चैंपियंस ने बताया कि टीबी मरीजों को जागरूक करके एक तरफ वह राष्ट्र सेवा भी करेंगे तो दूसरी ओर कुछ आमदनी भी होगी। कई चैंपियन विभाग के अलग-अलग प्रोग्राम में सुपरवाइजर का भी कार्य करते हुए सेवा भाव के साथ रोजगार से जुड़े हैं। क्षय रोग कार्यक्रम के जिला समन्वयक पंकज त्रिपाठी ने बताया कि जिला व देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने में चैंपियन का अहम योगदान होगा।
उन्होंने बताया कि शून्य से 18 वर्ष तक के टीबी मरीजों को अधिकारी, स्वंयसेवी संस्था के लोग अंगीकृत करते हुए मोटिवेट करने में जुटे हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि टीबी का लक्षण दिखते ही समय से जांच करा कर संपूर्ण इलाज कराने से बीमारी ठीक हो जाती है।
टीबी चैंपियन बनते ही रोजगार के द्वार खुले
डुमरियागंज क्षेत्र के कादिराबाद निवासी पंकज कुमार वर्ष 2016 में 12वीं में पढ़ाई कर रहे थे। उन्हें खुद में टीबी रोग के लक्षण दिखें तो प्राइवेट क्लिनिक पर दिखाते हुए एक वर्ष तक उपचार किया, लेकिन राहत नहीं मिली। अचानक वर्ष 2018 में बीएससी द्वितीय वर्ष में पढ़ाई के दौरान बलगम के साथ खून निकलने लगा तो डरे सहमे पंकज ने लखनऊ में इलाज कराया।
पंकज बताते हैं कि बलगम जांच में टीबी की पुष्टि होने पर उपचार के लिए सिद्धार्थनगर भेजा गया। जुलाई 2021 में 24 माह के उपचार के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो गये। वह बताते हैं कि अब टीबी चैंपियन बन लोगों को मोटिवेट कर रहे हैं। इससे रोजगार के द्वार भी खुल गए हैं।
दर्द झेला, अब दूसरे को करेंगी जागरुक
शोहरतगढ़ क्षेत्र के परसोहिया नानकार गांव की इसरावती वर्ष 2019 में बुखार से परेशान थी। शरीर में टीबी रोग के लक्षण दिख रहे थे। सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ) चलने के दौरान मार्च 2020 में गांव की आशा ने बलगम की जांच कराया तो टीबी की पुष्टि हुई। इसके बाद सीएचसी शोहरतगढ़ द्वारा लगातार छह माह तक उपचार चला और जुलाई 2020 में टीबी को मात देते हुए पूरी तरह स्वस्थ हो गईं।
इसरावती बताती हैं कि उन्होंने दर्द झेला है। उस दर्द को साझा करने के लिए टीबी चैंपियन बन गई हैं। विभाग ने लोगों को मोटिवेट करने का जिम्मा सौंपा है। उन्होंने बताया, “अब टीबी मरीजों के घर जाकर टीबी को मात देने के लिए जागरुक करुंगी।”
जिले में खोजे गये टीबी रोगी-
वर्ष लक्ष्य टीबी रोगी
2018 3100 2943 2019 3250 3652 2020 3600 2545
2021 5800 2866 2022 6000 454 (जनवरी से 20 मार्च तक)