पुस्तकों का अध्ययन विद्यर्थियों की दिनचर्या में हो शामिल

जे पी गुप्ता

सिद्धार्थनगर। विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस के अवसर पर शनिवार को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर के अटल बिहारी वाजपेयी केन्द्रीय ग्रन्थालय में पुस्तक अध्ययन अभ्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने प्रातः 9 बजे से 1 बजे तक पुस्तक पढ़ने का अभ्यास किया तथा यह संकल्प लिया कि वह प्रतिदिन कम से कम एक घण्टा किसी भी ज्ञानवर्द्धक पुस्तक का अध्ययन अवश्य करेंगे।

पुस्तकों के अध्ययन, प्रकाशन एवं कॉपीराइट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए ग्रन्थालय प्रभारी डॉ सुनीता त्रिपाठी ने कहा कि पुस्तक इन्सान के सबसे अच्छे और सच्चे मित्र होते हैं। आज के तकनीकी युग में छात्र-छात्राएं इन्टरनेट एवं गूगल के माध्यम से सूचनाएं प्राप्त करने में विश्वास करते हैं। किन्तु इससे उनके व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास सम्भव नहीं है।

इसलिए बच्चों एवं युवकों को किताब पढ़ने की आदत शुरू से ही दिनचर्या में शामिल करनी चाहिए। लोक प्रशासन विभाग के सहायक आचार्य डॉ रवि कान्त शुक्ल ने कहा कि किताबें इतिहास का दर्पण एवं भविष्य का मार्गदर्शक होती हैं। जीवन को बेहतर बनाने के लिए पुस्तकों की शक्ति पहचानना होगा।

डॉ अरविंद कुमार रावत ने कहा कि पुस्तकों के अध्ययन से ज्ञान प्राप्ति के साथ-साथ विद्यार्थियों में सामाजिक, सांस्कृतिक तथा नैतिक मूल्यों का विकास होता है। अंग्रेज़ी विभाग के डॉ हृदयकान्त पाण्डेय ने कम्प्यूटर एवं इन्टरनेट को विद्यार्थियों एवं पुस्तकों के बीच बढ़ती दूरी का कारण बताया।

इस दूरी को समाप्त करने के लिए ही वर्ष 1995 में यूनेस्को ने 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इसी के बाद से पूरे विश्व में इस दिन विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। राजनीति विज्ञान की डॉ सरिता सिंह ने कहा कि यह पुस्तकों को पढ़ने के लिए विश्व स्तर का उत्सव है। इसे अत्यन्त उत्साह से मनाया जाना चाहिए।

इतिहास विभाग के डॉ यशवन्त यादव ने कहा कि पुस्तकें विरासत की अमूल्य सम्पत्ति, ज्ञान का भण्डार, संवाद की शक्ति तथा सम्पन्नता का स्रोत हैं। अंग्रेज़ी विभाग के डॉ अमित साहनी ने बताया कि ‘इन्हेन्स बुक रीडिंग हैबिट्स’ के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों, विशेषकर छोटे बच्चों में पुस्तकों के प्रति रुचि उत्पन्न की जानी चाहिए।

इस अवसर पर विभिन्न विभागों के शिक्षक तथा विद्यार्थी उपस्थित रहें। ग्रन्थालय सहायक अजीत सिंह तथा अश्विनी ने कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग किया।

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