विश्व पर्यावरण दिवस पर सिविवि में आयोजित हुई एक दिवसीय संगोष्ठी

जे पी गुप्ता

सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थ नगर के भौतिकी विभाग द्वारा कुलपति प्रो. हरि बहादुर श्रीवास्तव के संरक्षण एवं विभागाध्यक्ष प्रोफेसर देवेश कुमार की अध्यक्षता में रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रकृति एवं आजीविका पुनर्स्थापन शीर्षक पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन आभाषी पटल पर किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग से डॉ. ऊषा मीना एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ एनवॉयरनमेंट एंड डेवलपमेंट विभाग के डॉ. अमित पाल ने अपने व्याख्यान दिये।


डॉ. ऊषा मीना ने कहा कि प्रकृति संरक्षण की प्रासंगिकता अब और भी बढ़ गयी है। प्रकृति संरक्षण के लिये उन्होंने बताया कि हमें प्रकृति से प्रेम करना चाहिये, क्योंकि हम प्रेम करने वाली वस्तु का ज्यादा ध्यान रखते हैं। उन्होंने बताया कि आगे आने वाली पीढ़ी को भी हम कुछ देकर जाएं इसके लिये आवश्यक है कि हम प्रकृति का संरक्षण करें। आजकल यह देखा गया है कि अभिभावक अपने बच्चों को प्रदूषण से बचाने के लिये इनडोर खेल खेलने को प्रोत्साहित कर रहे हैं परिणामस्वरूप बच्चों की नज़र कमजोर होना तथा बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूक न हो पाना जैसी समस्यायें अहम होती जा रही हैं। डॉ. मीना जी ने चिपको आन्दोलन की चर्चा करते हुये कहा कि आज भी हमें इस आन्दोलन जैसी जागरूकता की आवश्यकता है।


कार्यक्रम के दूसरे अतिथि वक्ता के रूप में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के डॉ. अमित पाल ने कहा कि एक दिन का कार्यक्रम न होकर, यह दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों और प्रत्येक व्यक्ति की आदत में शुमार होना चाहिये। इसके लिये आवश्यक है कि आज़-कल की पीढ़ी इंटरनेट, कम्प्यूटर, स्मार्टफोन आदि से थोड़ी दूरी बरत कर प्रकृति से जुड़े। साइक्लिंग करना भी प्रकृति से जुड़ाव को बढ़ाता है। अपने बच्चों में एक पौधे के रोपड़ से लेकर उसके संरक्षण तक की आदत डालें। बच्चों को सिखायें कि वे भोजन कम से कम बर्बाद करें। अपने बच्चों को प्रकृति की सुन्दरता से अवगत करायें साथ ही हम सब भी प्रकृति सरंक्षण के लिये स्वयं से प्रयास करें।
कार्यक्रम में सिद्धार्थ विश्विद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षकों एवं एनसीसी के केयरटेकर ऑफिसर डॉ. प्रज्ञेश नाथ त्रिपाठी सहित कैडेट्स तथा छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन भौतिक विज्ञान विभाग के सह-आचार्य डॉ. कौशलेन्द्र चतुर्वेदी एवं सहायक आचार्य डॉ. मनीषा बाज़पेयी ने किया।

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