2006 से लेकर अब तक 80 पुरुष नसबंदी 300 से अधिक महिलाओं की भी नसबंदी करवाई

रामानंद पाण्डेय

सिद्धार्थनगर।

पुरूष नसबंदी सरल, सुरक्षित एवं असरदार है। इसके बावजूद परिवार नियोजन में इस साधन के जरिए भागीदारी के लिए पुरुष सामने नहीं आ पाते, लेकिन अगर उन्हें सही संदेश दिया जाए तो पुरुष भी नसबंदी करवा लेते हैं। यह साबित कर दिखाया है नौगढ़ क्षेत्र के मधुकरपुर उपकेंद्र पर सेवारत आशा संगिनी विजय लक्ष्मी सिंह ने। उन्होंने वर्ष 2006 से अब तक 80 पुरुष नसबंदी करवाई है। इतना ही नहीं 300 से अधिक महिलाओं को भी प्रेरित कर नसबंदी के साधन का चुनाव करवाया।

आशा संगिनी विजय लक्ष्मी सिंह ने एक आशा कार्यकर्ता के रूप में वर्ष 2006 में कार्य शुरू किया था। आशा बनने से पूर्व वह स्वंय परिवार नियोजन के साधनों का चुनाव नहीं कर सकी और उनके पांच बच्चे हुए, लेकिन जब इस पेशे से जुड़ीं तो उन्हें परिवार नियोजन के महत्ता का एहसास हुआ। उन्होंने सबसे पहले अपने पति की नसबंदी करवाई। उनका कहना है कि अमूमन पुरुष नसबंदी का विरोध महिलाएं करती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके पति कमजोर हो जाएंगे। ऐसे पुरुषों को नसबंदी की सेवा से जोड़ने के लिए आशा संगिनी खुद के पति का उदाहरण देती हैं और आस-पास के कुछ अन्य पुरूषों का भी उदाहरण देती हैं, जिनको प्रेरित कर उन्होंने नसबंदी करवाई है। वह लोगों को यह बताती हैं कि किस प्रकार उनके मायके के एक जानने वाले ने उनकी प्रेरणा से नसबंदी करवाया और नसबंदी के तुरंत बाद साईिकल चलाते हुए घर चले गए। उन्हें किसी भी प्रकार की शारीरिक कमजोरी नहीं है। वह बताती हैं कि कई बार लाभार्थियों को प्रेरित करने के लिए उच्चाधिकरियों का भी सहयोग लेना पड़ा। नसबंदी के मामले में लाभार्थी के मन की शंकाओं को दूर करने के लिए उनकी सीधे सीएमओ से भी बात कराई और लाभार्थी ने मन की भ्रांति दूर होने के नसबंदी करवा लिया। आशा संगिनी विजय लक्ष्मी का कहना है कि पुरुष नसबंदी में कोई चीरा टाका नहीं लगता है। यह बात लाभार्थियों को समझाई जाती है। शोहरतगढ़ क्षेत्र के पल्टा देवी उपकेंद्र के हथियागढ़ निवासी सुनील कुमार (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि उन्हें भी नसबंदी कराने में पहले डर लगता था। आशा संगिनी विजय लक्ष्मी व एएनएम गीता गुप्ता ने समझाकर उनकी मन की भ्रांति को दूर किया, इसके बाद वह नसबंदी को तैयार हुए। उन्हें किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है। सुनील बताते हैं कि जब वह स्वंय नसबंदी करवा लिए तो अपने साढ़ू को भी बताया और सही जानकारी मिलने पर साढू ने भी नसबंदी करवा लिया।
दामाद की भी कराई नसबंदी
आशा संगिनी की एक बेटी लोटन क्षेत्र में आशा कार्यकर्ता है। उनकी बिटिया को जब तीन बच्चे हो गए तो उन्होंने दामाद व बिटिया को भी गलती का एहसास करवाया और छोटे परिवार का महत्व समझाया। इस तरह संगिनी ने दामाद को भी प्रेरित कर नसबंदी करवा दिया।
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सम्मानित हो चुकी हैं आशा संगिनी
पुरुष व महिला नसबंदी में अपने विशेष कार्यशैली के कारण आशा संगिनी को जिले से लेकर प्रदेश तक सम्मानित किया गया है। किशोरियों को सेनेटरी नैपकिन वितरण में प्रदेश में दूसरा स्थान आने पर राज्य मुख्यालय पर उन्हें सम्मानित किया गया है। इसके अलावा वर्ष 2018-19 और 2019-20 में परिवार नियोजन कार्यक्रम एनएसबी अभिप्रेरणा में स्थान हासिल करने पर मंडल स्तर पर सम्मान मिला है। जिले पर भी समय-समय पर विभाग व अन्य स्वंयसेवी संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित किया।
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नौगढ़ क्षेत्र की आशा संगिनी विजय लक्ष्मी सिंह परिवार नियोजन सेवा पर बेहतर योगदान दे रही हैं। इनके योगदान के लिए विभाग समय-समय पर इन्हें सम्मानित भी करता रहता है। जिले की अन्य आशा व संगिनी को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
मानबहादुर, डीसीपीएम

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