महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर आयोजित हुआ ऑनलाइन व्याख्यान

kapilvastupost reporter

सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर के हिंदी विभाग तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद सिद्धार्थनगर के संयुक्त तत्वाधान में महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में उद्बोधन देते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व आचार्य एवं प्रतिष्ठित संस्कृत विषय के मर्मज्ञ प्रोफेसर डॉ ओम प्रकाश पांडेय ने कहा कि

महर्षि वाल्मीकि ने अपने दिव्यज्ञान और अद्भुत रचना दृष्टि से बाल्मीकि रामायण में श्री राम के चरित्र एवं व्यक्तित्व का जो स्वरूप निर्मित किया है वह अनंत काल तक समाज के लिए और संपूर्ण मानवता के लिए प्रासंगिक रहेगा। प्रोफेसर पांडेय ने कहा की महर्षि वाल्मीकि भारतीय साहित्य के आदि कवि हैं। रामायण आदि रचना के रूप में प्रतिष्ठित है।

महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के माध्यम से भगवान श्री राम के व्यक्तित्व और कृतित्व का विशद विवेचन करके मानवता की उत्कृष्ट पराकाष्ठा और सामाजिक समरसता की भावना का अद्भुत संयोजन करके मानव समाज के लिए प्रेरणा प्रदान की है। महर्षि वाल्मीकि ने बाल्मीकि रामायण में श्री राम को एक आदर्श राजा और राष्ट्र निर्माता के रूप में चित्रित किया है।

राजा दशरथ को एक पिता के साथ साथ राजा के कर्तव्यों का निर्वहन करने वाला आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया है ।भरत जैसे भातृत्व और सीता जैसी नारीत्व का चित्रण आज के वर्तमान सामाजिक परिप्रेक्ष्य की चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करता है।

कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा ने कहा कि वर्तमान परिवेश में महर्षि वाल्मीकि की रचना धर्मिता और उनके द्वारा रचित रामायण के माध्यम से सामाजिक समरसता भारतीय समाज व्यवस्था में रामबाग के समान है। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि उच्च कोटि के ऋषि के साथ-साथ एक दिव्य दृष्टि वाले समाज वैज्ञानिक भी थे।

सामाजिक ताना-बाना के साथ राष्ट्रीयता की अभिव्यक्ति बाल्मीकि रामायण में महर्षि वाल्मीकि की अद्भुत सृष्टि निर्माण की क्षमता के रूप में देखा जाना चाहिए। हिंदी के आदि कवि के रूप में महर्षि वाल्मीकि हमेशा प्रतिष्ठित एवं प्रासंगिक रहेंगे।

कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम संयोजक एवं हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ जय सिंह यादव ने किया जबकि आभार ज्ञापन हिंदी विभाग के सहयुक्त आचार्य डॉ सतेंद्र दुबे ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय सहित अन्य शिक्षण संस्थानों से श्रोता एव अखिल भारतीय साहित्य परिषद के कार्यकर्ता एव पदाधिकारी जुड़े रहे।

error: Content is protected !!
Open chat
Join Kapil Vastu Post