कम्पोजिट विद्यालय मकरौड़ में छात्रों को कई वर्षों से पानी की व्यवस्था नहीं , बूंद बूंद के लिए तरस रहे बच्चे

इन्द्रेश तिवारी

जहाँ एक तरफ सरकार आत्मनिर्भर भारत का ढिंढोरा पीटते नहीं थक रही है हर मामले में आत्म निर्भर बनने का दावा करने वाली सरकार और उसकी व्यवस्थाओं को जिम्मेदार कैसे चूना लगाते हैं इसकी एक मिशाल शोहरतगढ़ तहसील मुख्यालय से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित एक विद्यालय में देखने को मिलती है |

शोहरतगढ़ विकास खंड अंतर्गत ग्राम मकरौड़ में स्थित परिषदीय विद्यालय के अंतर्गत कम्पोजिट विद्यालय और एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बना हुवा है दोनों ही एक चारदीवारी में बने है गाँव के मुख्य मार्ग पर स्थित इस विद्यालय का कैंपस सड़क से लगभग एक मीटर नीचे है स्कूल के अन्दर किसी तरह से आने जाने के लिए कोई इंटरलॉकिंग सड़क नहीं बनी है |

स्कूल के बाहर और अन्दर दोनों तरफ से एक तरह से खँडहर और उजाड़ सा दीखता है बरसात के दिनों में हालात और बुरे हो जाते हैं | स्कूल में पानी भरा रहता है छात्रों को अपने क्लासरूम तक जाने के लिए भी बहुत दिक्कत होती है |

तहसील मुख्यालय से सटे ग्राम मकरौड़ के इस स्कूल में लगभग तीन वर्षों से छात्रों को पीने के पानी की समस्या है चार हैण्ड पंप और दो सबमर्सिबल एक वाटर टैंक एक वाटर पोस्ट होते हुवे सैकड़ों छात्रों को अपनी दिनचर्या के लिए शौचालय का प्रयोग करने के लिए और न ही पीने के लिए पानी की एक बूँद |
छात्र रोज दोपहर में लंच करते हैं, अधिकतर छात्र छात्राएं खाने के बाद स्कूल से दूर गाँव में पानी पीने के लिए जाते हैं | जिससे छात्रों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है |

विद्द्यालय में अन्य अव्यवस्थाओं के साथ ही लगभग तीन साल से पानी की समस्या ने सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है इस बड़ी समस्या को लेकर रिपोर्टर ने विद्यालय के प्रधानाचार्य और विद्द्यालय के पुराने अध्यापकों से बातचीत के दौरान बताया की समस्या विगत कई वर्षों से है बहुत प्रयास किये गए

पर जो ठीकेदार काम करने आता है वह मानक के अनुरूप काम नहीं करता है वाटर टैंक लगा है जिसका कनेक्शन ठीकेदार द्वारा नहीं किया गया और n ही जमीन के अन्दर पानी के सतह तक बोर किया गया है जो भी नल लगे हैं वह सौ से एक सौ पंद्रह या बीस फूट तक ही नल गाड़ कर भाग जाते हैं कहते हैं जैसे जैसे नल का प्रयोग होगा पानी साफ़ हो जायेगा लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुवा |

विद्यालय के शिक्षक और छात्र एक तरह से तपस्या करने में लगे रहते हैं पानी को लेकर बहुत कठिनाई महसूस करते हैं |
सरकार शिक्षा और स्वस्थ्य पर करोड़ों लुटाती है उसके बाद लोगों के मूलभूत अधिकारों का यह हाल है कि विद्यालय में तीन वर्षों से छात्रों के लिए पीने का पानी मयस्सर नहीं छात्रों और अध्यापकों ने शीघ्र ही विद्यालय में पीने के पानी का तत्काल इन्तेजाम करने की प्रशासन से मांग की है |

बताते चलें की स्कूल में नल की कमी नहीं है कमी है तो सिर्फ कायदे से काम करने की है विद्द्यालय के आस पास गाँव में पानी का डाटा एक सौ नब्बे से दो सौ बीस के आस पास बताया जा रहा है | ऐसे में सभी नलों की रेबोरिंग उचित मापदंडों पर करते हुवे समस्या से निजात पाई जा सकती है | कैंपस के अन्दर सड़क निर्माण कर सभी कक्षाओं तक पहुँच बनानी होगी |तभी हम आत्मनिर्भर हो पाएंगे ।

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